योग सुंदर स्वास्थ्य का सबसे सुलभ माध्यम
बेतिया। सुंदर स्वास्थ्य और शारीरिक कार्यकुशलता की चाहत अब किशोर व युवाओं में बढ़ती जा रही है। योगा उ
बेतिया। सुंदर स्वास्थ्य और शारीरिक कार्यकुशलता की चाहत अब किशोर व युवाओं में बढ़ती जा रही है। योगा उनके लिए फिलवक्त सबसे सुलभ और सस्ता माध्यम बन गया है। यही कारण है कि युवा वर्ग में योग के प्रति दीवानगी बढ़ती ही जा रही है। कुछ ही नजारा रविवार को नगर महारानी जानकी कुवर महाविद्यालय के प्रांगण में देखने को मिला। पतंजलि योग समिति के तत्वावधान में आयोजित योग प्रशिक्षण कार्यक्रम में अच्छी संख्या में युवा पहुंचे और योगाभ्यास किया। अनुलोम-विलोम, प्रणायाम, सूर्य नमस्कार आदि योग का अभ्यास कराया गया। योगाभ्यास के लिए पहुंचे युवाओं ने कहा कि कसरत से शारीरिक लाभ तो होता लेकिन मानसिक रूप से वह स्वस्थ रहे इसकी गारंटी नहीं। योगा ही जो मानव को शारीरिक और मानसिक रूप से लाभ पहुंचाता है। आज के भाग दौड़ की ¨जदगी में सबसे बड़ी समस्या मानसिक तनाव है। योगा ही ऐसा साधन है जो मानव को तनाव से मुक्त रखता है। सफलता के लिए शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक रूप से स्वास्थ्य रहना बेहद आवश्यक है। योग शिक्षक के रूप में पतंजलि न्यायविद प्रकोष्ठ के जिला प्रभारी कमलेश झा का कहना है कि योग सफलतापूर्वक जीवन जीने की शानदार शैली है। योग विद्या अध्यात्म की सीढ़ी है जिसे अपनाकर व्यक्ति परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। आज आवश्यकता है कि हर कोई योगा से जुड़े तथ सुखी जीवन जिए। मौके पर उपस्थित पतंजलि योग समिति के जिला प्रभारी पवन कुमार ने कहा कि योग द्वार मनुष्य में सात्विक उर्जा का विकास होता है। योग हमें तन से मन से एंव विचारों से शक्तिशाली ही नहीं अपितु इसे पवित्र करता है। योग से प्रभावित होने वाले अंग जैसे किडनी के असंतुलन से कई रोग पैदा हो जाते है। इनमें कान के समस्त रोग, इच्छाशक्ति का कमजोर होना, शारीरिक सूजन आदि शामिल है। तिल्ली के असंतुलन से शरीर में ऊर्जा का ढंग से संचार नहीं हो पाना, लिवर के असंतुलन से शरीर में क्रोध का आना, आंख की बीमारी, पाचन शक्ति कमजोर होना, फेफड़े के असंतुलन होने से श्वसन संबंधित सभी बीमारी, चरम रोग होते है। परंतु नियमित योग एवं प्रणायाम करने वाला व्यक्ति इन अंगों को संतुलित कर जटिल रोगों से मुक्ति पाता है और खुशी पूर्वक जीवन जीता है। किसान सेवा समिति के जिला प्रभारी चंदन कुमार ने कहा कि योग मनुष्य की वाह्य एवं आंतरिक व्याधियों से मुक्ति पाने का सुगम मार्ग है। नियमित योगाभ्यास से मनुष्य सबल एवं बलिस्ट होकर रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर लेता है। व्यक्ति अष्टांग योग के नियमों का पालन करने से वामन से विराट हो जाता है तथा अपने परम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त करता है।