गर्मी से बेहाल पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता पर बुरा असर
बगहा। भीषण गर्मी का असर सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बल्कि पशुओं पर भी दिख रहा। दोपहर में हवा लू में तब्दील हो जाती है जिससे सभी परेशान हैं।
बगहा। भीषण गर्मी का असर सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बल्कि पशुओं पर भी दिख रहा। दोपहर में हवा लू में तब्दील हो जाती है जिससे सभी परेशान हैं। भीषण गर्मी में सूखे पड़े तालाबों के चलते पशुओं और वन्य जीवों को भी पानी के लाले हैं। प्यास बुझाने के लिए पानी की तलाश में पशु इधर-उधर मारे-मारे फिर रहे हैं। गर्मी और तेज धूप से बचने के लिए ग्रामीण भी अपने पशुओं को जंगल मे चराने के लिए ले जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर गर्मी के कारण पशुओं खासकर गाय और भैंसों की दूध उत्पादन की क्षमता भी घटने लगी है। इससे पशुपालकों को तो घाटा हो ही रहा है, साथ ही लोगों को दूध मिलने में भी दिक्कत आ रही है। पशु पालकों की मानें तो पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता पर प्रतिकूल असर का आलम यह है कि एक तिहाही दूध कम हो रहा है। हरनाटांड़ गांव के पशु पालक रामप्रसाद बड़घड़िया ने बताया कि उनके पास आधा दर्जन से भी अधिक भैंसे हैं। उनमें से ज्यादातर भैंसों का दूध कम हो गया है। जो भैंस एक समय में 10 किलो दूध देती थी, अब फिलहाल 6 से 8 किलो दूध दे रही है। इसके अलावा दूध की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है। पशुपालक भैंसों को गर्मी से बचाने की कोशिश भी काफी कर रहे हैं।
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डेयरी उत्पाद की बिक्री बढ़ी :-
पशु पालक शेषनाथ बड़घड़िया ने बताया कि उनके दालान में हरेक भैंस को दिन में कम से कम चार बार ठंडे पानी से नहलाया जाता है। जौ का आटा और जौ का दाना आदि खुराक भी इस तरह की दी जाती है कि पशु को गर्मी से कुछ राहत मिल सके। गर्मी के कारण दूध का उत्पादन लगातार घट रहा है। उत्पादन कम होने से दूध महंगा हो गया है। बताते चलें कि दूध के घरेलू उत्पादन में कमी आई है, इसलिए हरनाटांड़ में विभिन्न डेयरी के दूध की बिक्री का ग्राफ बढ़ गया है।
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कहते हैं चिकित्सक :-
हरनाटांड़ पशु चिकित्सालय के भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि दुधारू व गर्भ धारण कर चुके पशुओं को सुबह-शाम साफ पानी से नहलाना चाहिए और पर्याप्त पानी पिलाना चाहिए। पशुओं को हरा चारा की मात्रा अवश्य दें व पानी में थोड़ा गुड़ घोलकर पिलाएं तो उनमें दूध की मात्रा नहीं घटेगी। हीट स्ट्रोक की चपेट में आने पर पशु को फौरन चिकित्सक को दिखाएं, ताकि पानी की कमी को दूर किया जा सके। इस गर्मी में पशु गलघोंटू जैसी बीमारी के भी शिकार हो सकते हैं। इसलिए पशुओं को सरकारी अस्पताल से संपर्क कर गलघोंटू का टीका जरूर लगवाना चाहिए। खासतौर से गाय-भैंस ज्यादा गर्मी को सहन नहीं कर सकते। पशुओं को हर रोज कम से कम चार-पांच बार नहलाना चाहिए।
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