Move to Jagran APP

दवा खरीद में अनियमितता के आरोप में लेखा प्रबंधक पर कार्रवाई, छीना प्रभार

बेतिया । जिले में 33 लाख 77 हजार 400 रुपये की दवा खरीदारी में घोटाला के मामले में जिला स्वास्थ्य समिति के लेखा प्रबंधक विनोद कुमार की मुश्किलें बढ़ गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 11:36 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 11:36 PM (IST)
दवा खरीद में अनियमितता के आरोप में लेखा प्रबंधक पर कार्रवाई, छीना प्रभार
दवा खरीद में अनियमितता के आरोप में लेखा प्रबंधक पर कार्रवाई, छीना प्रभार

बेतिया । जिले में 33 लाख 77 हजार 400 रुपये की दवा खरीदारी में घोटाला के मामले में जिला स्वास्थ्य समिति के लेखा प्रबंधक विनोद कुमार की मुश्किलें बढ़ गई है। सिविल सर्जन डॉ. विरेंद्र कुमार चौधरी ने उनके विरुद्ध प्रपत्र क गठित किया है। वही विभागीय संचालन पदाधिकारी की ओर से प्रस्तुत प्रतिवेदन के समीक्षोपरांत एफआईआर दर्ज कराने का आदेश जारी किया है। विनोद कुमार को आदेश दिया गया हैं कि वे शेष कार्रवाई अथवा एफआईआर दर्ज होने तक अपने जिम्मे का संपूर्ण प्रभार एनसीडी सेल के फाइनेंसियल एंड लॉजिस्ट कैंसीलटेंट कन्हैया को तीन दिनों के अंदर सौंप दे। सीएस ने यह कार्रवाई जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष सह डीएम कुंदन कुमार के सख्ती के बाद की है। बताया जाता हैं कि 19 फरवरी 2020 को जिला लेखा प्रबंधक विनोद कुमार के दवा क्रय घोटाले में संलिप्त होने पर कार्रवाई के अनुपालन प्रतिवेदन की मांग की गई थी। लेकिन एक साल से विभागीय स्तरीय पर इस मामले को दबा कर रखा गया। उसके बाद डीएम ने सख्ती दिखाते हुए जिला स्वास्थ्य समिति के सचिव सह सीएस को अनुपालन प्रतिवेदन अविलंब उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। डीएम के आदेश के बाद सीएस ने लेखा प्रबंधक पर प्रपत्र क गठित कर दिया है।

loksabha election banner

----------

33 लाख से ज्यादा राशि से हुई थी खरीदारी

जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से 2 हजार 500 भायल एंटी-डी इमोगोलिबन दवा की खरीदारी हुई थी। इसको लेकर वर्ष 2017 में स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख ने दो सदस्यीय जांच टीम से मामले की जांच कराई थी। 11 जनवरी 2018 को जांच टीम की ओर से समर्पित प्रतिवेदन के आधार पर कार्रवाई का अनुपालन कराने का निर्देश तत्कालीन सीएस को दिया गया था। तत्कालीन सीएस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आधा दर्जन कर्मियों को निलंबित कर दिया। उसके बाद दो सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया। जांच दल ने अपूर्ण रिपोर्ट दिया। उसके बाद निदेशक प्रमुख ने समर्पित जांच प्रतिवेदन के विरुद्ध संलग्न साक्ष्य के आलोक में पुन: जांच कराते हुए दोषी पदाधिकारी व कर्मचारियों के विरुद्ध अविलंब कानूनी एवं अनुशासनिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इसके बाद जांच के नाम पर मामले को स्वास्थ्य विभाग की ओर से लटकाए रखा गया। अब करीब चार साल बाद सीएस के स्तर पर लेखा प्रबंधक पर कार्रवाई की गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.