माता की कृपा से ईश्वर की प्राप्ति
बेतिया, नगर प्रतिनिधि: कथा वाचिका नीलम गायत्री ने कहा कि जन्म देने वाली माता की कृपा बिना ईश्वर का मिलना संभव नहीं है। मां की अपने पुत्रों पर आपार कृपा होती है। जिसप्रकार मां पुत्रों को स्वच्छ और साफ कपड़े पहनने को देती है,उसके बाद ही पिता पुत्र को स्नेह देते हैं। उसी प्रकार मां काम, क्रोध, लोभ, मोह रूपी गन्दगी को साफ कर देने के बाद उन्हे ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। यही कारण है कि राम के पहले सीता का नाम जुड़ा। वे कालीबाग प्रागंण में मां काली संत्सग सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित राम कथा के सातवें दिन श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन कर रही थी। कथावाचिका ने राम विवाह की कथा प्रसंग को सारगर्भित ढ़ंग से प्रस्तुत करते हुए कहा कि मां सीता साक्षात जगतजननी हैं। राम ब्रह्मा हैं तो जानकी भक्ति हैं। बिना भक्ति के जीवन सार्थक नहीं होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मानव को अकड़ना नहीं चाहिए। अगर मानव अकड़ गया, कठोर बन गया तो विनष्ठ होना तय है। उदाहरण प्रस्तुत करने हुए कथावाचिका ने कहा कि कठोर था। इसलिए वह टूट गया। मानव जितना कोमल होगा जितना शील होगा , उतना ही मजबूत होगा। भगवान राम ने अपने शील स्वभाव के बल पर ही मिथिला वासियों का जीत ली और लंका पर विजय प्राप्त कर लिया।
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