चिकित्सकों के 19 पद रिक्त, आपातकाल में रेफर की मजबूरी
बगहा। सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पतालों को अपडेट किया जा रहा। संसाधनों की व्यवस्था के साथ चिकित्सकों क
बगहा। सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पतालों को अपडेट किया जा रहा। संसाधनों की व्यवस्था के साथ चिकित्सकों की तैनाती को लेकर भी सरकार गंभीर है। इसके बावजूद अनुमंडलीय अस्पताल बगहा में चिकित्सकों की कमी बरकरार है। हालत यह है कि 26 चिकित्सकों के पद सृजित हैं, लेकिन दो महिला चिकित्सक समेत महज 7 ही पदस्थापित हैं। चिकित्सकों की कमी के कारण ए-ग्रेड नर्से प्रसव कक्ष में ड्यूटी बजाती हैं। बहुत आवश्यक होने पर ही महिला चिकित्सक प्रसव कक्ष में आती हैं। ब्लड बैंक नहीं होने के कारण आपातकाल में महिलाओं को रेफर कर दिया जाता है। इस अव्यवस्था का दंश सबसे अधिक गरीब परिवारों को झेलना पड़ता है। कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें रेफर के बावजूद परिजन रुपये की कमी के कारण मरीज को अन्यत्र नहीं ले जा सके और मरीजों की जान जाते-जाते बची। कई बार तो एंबुलेंस में भी प्रसव हो चुका है। ऐसी स्थिति के कारण जच्चा और बच्चा का जीवन खतरे में पड़ जाता है। अनुमंडलीय अस्पताल में आज भी जटिल प्रसव के लिए ऑपरेशन की कोई व्यवस्था नहीं है। भगवान भरोसे महिलाएं बच्चों को जन्म देती हैं।
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आखिर कब दुरुस्त होगी अस्पताल की व्यवस्था :-
बगहा के पंडित कमलनाथ तिवारी अस्पताल को करीब तीन दशक पूर्व अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा मिला। उस वक्त अस्पताल में बेडों की संख्या 30 थी। कई साल गुजर गए, लेकिन बेडों की संख्या नहीं बढ़ाई गई। जबकि नियमानुसार अनुमंडलीय अस्पताल में मरीजों के लिए कम से कम 100 बेड होने चाहिए। इसके साथ 26 चिकित्सकों के पद सृजित हैं। इसमें दो विशेषज्ञ महिला और पांच महिला चिकित्सकों के पद हैं। लेकिन फिलहाल दो महिला व दंत चिकित्सक समेत कुल सात पदस्थापित हैं। महिला चिकित्सकों की ड्यूटी ओपीडी में भी लगती है। प्रसव की पूर्ण जिम्मेदारी ए-ग्रेड नर्स के जिम्मे है। जटिल प्रसव के लिए विभाग द्वारा दो चिकित्सकों की पदस्थापना की गई है। डा. राजीव कुमार ने हाल ही में योगदान किया है। एक अन्य चिकित्सक डा. अमरेश कुमार ने तो अबतक योगदान ही नहीं किया। गत वर्ष ब्लड बैंक का उद्घाटन किया गया था। उद्घाटन के उपरांत इसमें ताला लटक रहा है। हालांकि अस्पताल में बच्चों के इलाज के लिए आधुनिक एन.बी.एस.यू कक्ष है। इसका लाभ भी नवजात बच्चों को 24 घंटे नहीं मिल पाता। वजह चिकित्सकों की कमी बताई जाती है। ऐसे में यहां जननी बाल सुरक्षा योजना सहित अन्य योजनाओं का लाभ शत-प्रतिशत नहीं मिल पा रहा।
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बयान :-
अस्पताल में चिकित्सक, ए-ग्रेड नर्स सहित अन्य कर्मियों की पदस्थापना हो तो बात बने। एक चिकित्सक के जिम्मे ओपीडी के साथ आपातकालीन सेवा भी रहती है। इसके बावजूद अस्पताल में सुरक्षित प्रसव के साथ साथ अन्य मरीजों को बेहतर ढंग से इलाज करने का हर संभव प्रयास किया जाता है।
डॉ. चंचल बाला, चिकित्सा प्रभारी, अनुमंडलीय अस्पताल बगहा