यहां गांधीजी ने डाली थी रोजगारपरक शिक्षा की नींव
बेतिया। महात्मा गांधी ने न सिर्फ चम्पारण की धरती से स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल फूंका था, बल्कि रोजग
बेतिया। महात्मा गांधी ने न सिर्फ चम्पारण की धरती से स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल फूंका था, बल्कि रोजगारपरक शिक्षा के लिए देश में पहले बुनियादी विद्यालय की स्थापना भी चंपारण में ही की थी। जिला मुख्यालय से करीब नौ-दस किलोमीटर दूर वृंदावन में आज भी तालीम के साथ साथ हुनर भी प्रदान किया जा रहा है। विद्यालयों के छात्रों को कुटीर उद्योग बढ़ईगिरी, लोहारगिरी, कृषि, बागवानी, कपड़ा बुनाई, मिट्टी के बर्तन निर्माण, खिलौने बनाना, कपड़ा सिलाई, सूत के काम का प्रशिक्षण दिया जाता है। 1939 ई. में चंपारण के चनपटिया प्रखंड के वृंदावन में महात्मा गांधी सेवा संघ के पंचम एवं अंतिम अधिवेशन के दौरान गांधी ने यहां अशिक्षा बेरोजगारी एवं गरीबी को करीब से महसूस किया तथा रोजगारपरक शिक्षा के सपने को पूरा करने के लिए 4 मई 1939 को देश को पहली बुनियादी विद्यालय की उन्होंने नींव डाली। गांधी ने अपना हस्ताक्षर भी यहां किया और उस दिन तालीम के लिये आये बच्चों को शिक्षा दी। गांधी जी के द्वारा पढ़ाये गये पहले पाठ को याद कर आज भी टीकाछापर के रामचंद्र प्रसाद, तलहवा नौतन के रामदेव सिंह, रानीपुर रमपुरवा के कृष्णदत्त झा भावुक हो उठते है। बताते हैं कि इस दिन यहां काफी चहल-पहल थी। देश के बड़े दो नेता पधारे थे। गांधी जी ने पहली कक्षा में बच्चों से कुछ सवाल भी किया था और यहां के बारे में कुछ जानकारी भी ली थी। हालांकि गांधी ने क्या सवाल किये यह उन्हें याद नही है। उस समय विद्यालय का नाम राजकीय बुनियादी विद्यालय वृंदावन रमपूरवा रखा गया जो अब बुनियादी विद्यालय वृंदावन बालक के नाम से जाना जाता है। विद्यालय की स्थापना के दिन गांधी जी के अलावा डा. राजेन्द्र प्रसाद, खान अब्दुल गफ्फार खान, जाकिर हुसैन, आशा देवी, बिनोवा भावे, सरदार बल्लभ भाई पटेल, सरीखे राष्ट्रीय स्तर के नेता मौजूद थे। पहले बुनियादी विद्यालय के स्थापना के बाद 2 से 9 मई तक चलने वाले पंचम अधिवेशन के दौरान कई बुनियादी विद्यालय खोले गये। आज चनपटिया प्रखंड में 28 तथा पश्चिम चंपारण में कुल 43 बुनियादी विद्यालय है। पूरे सुबे में 519 बुनियादी विद्यालय है। इसके अलावा वर्धा, मुंबई व गुजरात में देश के कई हिस्सों में बुनियादी विद्यालय चल रहा है। विद्यालय स्थापना के समय बापू द्वारा किये गये हस्ताक्षर को आज भी विद्यालय परिवार में सहेज कर रखा है। शिक्षक शंभू कुमार सिंह इसे विद्यालय का अमूल्य संपत्ति मानते है। गांधी के हस्ताक्षर विद्यालय के निरीक्षण पंजी में प्रथम पृष्ठ पर चिपका कर रखा गया है। विद्यालय में देखने आने वालों में रामप्रण उपाध्याय, भवन नाथ मुखर्जी, सुकदेव नरायण, बाबू जमादार सिंह, दवेन्द्र नरायण, गांधी सेवा अंधा बरधा के रघुनाथ श्रीधर, तिरहुत डिविजन के कमीश्नर ,कांग्रेस कमेटी पटियाला पंजाब के रामेश्वर सिंह, मैसूर ट्रेनिंग कॉलेज के अधीक्षक सहित कई बड़ी हस्तियों के नाम शामिल है। बता दें कि मार्च 2002 में गांधी स्मृति दर्शन समिति राजघाट नई दिल्ली, में विद्यालय में अधिवेशन कर विद्यालय को गोद लिया। उस समय अफ्रिकी सांसद लेवा राम गोविल, डा. सुब्बा राव, डा. सविता सिंह भी मौजूद थी। विद्यालय में चरखे की आवाज और सिलाई मशीन चलने की आवाजें सुनाई देती है। विद्यालय के शिक्षकों को रोजगार परक शिक्षा देने में सुकून मिल रहा है। यहां पढ़ाई के साथ साथ तालिम की शिक्षा ले रहे धामू राम, मनीष कुमार, अंकित कुमार, सविता कुमारी, बबीता कुमारी, रानी, प्रियंका, अनिता आदि बताते है कि स्कूल में मिलने वाली शिक्षा से उनके सुनहरे भविष्य की संभावना प्रबल हो गयी है।