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निक्षय दिवस पर लोगों ने लिया टीबी को हराने का संकल्प

कोरोना के संक्रमण काल में टीबी के मरीजों को सजग और सतर्क रहने की जरूरत है। यह एक संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी का प्रभाव सबसे अधिका फेफड़ों पर होता है। इसके अलावा दिमाग गर्भाशय मुंह लिवर किडनी और हड्डी में भी इसका असर हो सकता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 06:41 PM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 03:45 AM (IST)
निक्षय दिवस पर लोगों ने लिया टीबी को हराने का संकल्प
निक्षय दिवस पर लोगों ने लिया टीबी को हराने का संकल्प

जागरण संवाददाता, हाजीपुर:

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कोरोना के संक्रमण काल में टीबी के मरीजों को सजग और सतर्क रहने की जरूरत है। यह एक संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी का प्रभाव सबसे अधिका फेफड़ों पर होता है। इसके अलावा दिमाग, गर्भाशय, मुंह, लिवर, किडनी और हड्डी में भी इसका असर हो सकता है। इसके प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। लक्षण मिलने पर इलाज कराना चाहिए। इसके लिए सरकारी अस्पतालों में समुचित व्यवस्था है।

ये बातें निक्षय दिवस के अवसर पर सोमवार को संक्रमण रोग पदाधिकारी डॉ शिव कुमार रावत ने कही। प्रत्येक महीने के दूसरे सोमवार को निक्षय दिवस के रूप में मनाए जाने के निर्देश के आलोक में सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी के प्रति जागरूक किया गया।

सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर पेशेंट प्रोवाइडर्स की मीटिग एवं सामुदायिक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में संभावित टीबी मरीजों से संपर्क कर उन्हें टीबी की संपूर्ण जानकारी तथा समुदाय के बीच जाकर टीबी के कारण, लक्षण और उपचार पर बातें की गई। वहीं स्वास्थ्य केंद्रों पर नुक्कड़ नाटक तथा बैनर, प्रदर्शनी, माइकिग जैसी गतिविधियां की गई। इस कार्यक्रम के माध्यम से अब हर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी टीबी कार्यक्रम से जुड़ी गतिविधियों का लाभ लिया जा सकेगा। अभी जिले में टीबी के लगभग 1245 मरीज इलाजरत हैं। निक्षय योजना के तहत मिलते हैं 500 रुपये

टीबी के मरीजों को उचित खुराक एवं पोषण देने के उद्येश्य से केंद्र सरकार की तरफ से निक्षय पोषण योजना चलाई गई है। इसमें मरीजों को उचित पोषण के लिए 500 रुपये प्रत्येक महीने दिए जाते हैं। यह राशि लाभार्थी के खाते में सीधे पहुंचती है। जिले में एमडीआर के लिए मौजूद है बीडाक्विलिन की दवा

जिले में अब एमडीआर मरीजों के लिए रामबाण दवा बीडाक्विलिन की दवा भी उपलब्ध है। पहले यह दवा सिर्फ नोडल डीआरटीबी सेंटर और आइजीआइएमएस में उपलब्ध थी। यह काफी महंगी दवा होती है। जिले में सबसे पहले भगवानपुर तथा रजौली के मरीज को यह दवा दी गई। टीबी के लक्षण

- भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना

- बेचैनी एवं सुस्ती छाया रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना

- हलका बुखार रहना

- खांसी आना , खांसी में बलगम आना तथा बलगम में खून आना

- कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।

- गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना

- गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी

-महिलाओं को टेम्प्रेचर के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर चढ़ना

-पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि


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