पुराने आम के पेड़ों की टहनियों का करें जीर्णोद्धार, लगेंगे अधिक फल
आम के पेड़ों के जीर्णोद्धार विषय पर आयोजित कार्यशाला ।
वैशाली । आम उत्पादक किसान अगर अपने बगीचे में पुराने हो चुके आम के पेड़ों की टहनियों का जीर्णोद्धार कर दें तो उन पेड़ों में अच्छा फलन हो सकता है। ये बातें देसरी प्रखंड के अंधराबड़ प्रोजनी बाग आम के पेड़ों के जीर्णोद्धार विषय पर आयोजित कार्यशाला में महाराष्ट्र के रत्नागिरी स्थित डॉ. बालासाहेब सावंत कोंकण कृषि विद्यापीठ के सहायक प्राध्यापक डॉ महेश मोहन कुलकर्णी ने किसानों से कही। उन्होंने बताया कि जिस तरह रबी एवं खरीफ मौसम के दौरान फसल की निकाई, गुड़ाई एवं छटाई की जाती है, उसी तरह आम के पेड़ की टहनियों के पुराना हो जाने के बाद जीर्णोद्धार की आवश्यकता होती है। जीर्णोद्धार के बाद पेड़ में अच्छे फल लगते हैं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर किसान बगैर प्रशिक्षण के अपने खेतों में कम दूरी पर आम का पौधा लगा देते हैं जिससे थोड़े दिनों के बाद बगीचा काफी घना हो जाता है। ऐसे में न तो आम के पेड़ों की जड़ों तक सूर्य की रोशनी पहुंच पाती है और न ही सही ढंग से पेड़ का विकास हो पाता है। दो-तीन सालों तक तो उसमें अच्छे फल लग जाते हैं परंतु उसके बाद छोटे फल लगने शुरू हो जाते हैं। आम की डालियां धीरे-धीरे कमजोर व बीमार हो जाती हैं।
डॉ. कुलकर्णी ने बताया कि आम का पौधा पांच-पांच मीटर की दूरी पर ही लगाएं ताकि बड़ा होने के बाद लंबी अवधि तक उसमें फल लग सके। आमतौर पर बरसात के दिनों में किसान अपने बगीचे में की ओर जाना पसंद नहीं करते हैं जबकि उसी समय बगीचा में जाकर जंगल को साफ कर देना चाहिए। इसके बाद नवंबर माह के बाद बगीचा की जुताई अवश्य कर देनी चाहिए ताकि कीड़े-मकोड़े के प्रकोप से बचा जा सके। कार्यशाला में जिले के 40 किसानों ने भाग लेकर प्रशिक्षण हासिल किया। इस दौरान नई दिल्ली स्थित इजराइल दूतावास में प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ ब्रह्मदेव, सेंटर ऑफ एक्सलेंस फार मैंगो, बस्ती जिला यूपी के परियोजना निदेशक सुरेश कुमार, हरियाणा के सत्यनारायण के अलावा उद्यान वैज्ञानिक डॉ अनुराग ¨सह, निदेशक नंदकिशोर, पवन कुमार आदि ने कार्यशाला को संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला उद्यान के सहायक निदेशक विपिन कुमार पोद्दार ने की जबकि संचालन विकास कुमार ने किया।