शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की हुई पूजा-अर्चना
शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन सोमवार को भक्तों ने माता के दूसरे स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना की। मंगलवार को माता के तीसरे स्वरूप देवी चंद्रघंटा की आराधना व पूजा-अर्चना की जाएगी। पंडितों ने देवी चंद्रघंटा के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि चंद्रमा जिनकी घंटा में स्थित हो उस देवी का नाम चंद्रघंटा है। इस देवी के दस हाथ हैं।
जागरण संवाददाता, हाजीपुर :
शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन सोमवार को भक्तों ने माता के दूसरे स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना की। मंगलवार को माता के तीसरे स्वरूप देवी चंद्रघंटा की आराधना व पूजा-अर्चना की जाएगी। पंडितों ने देवी चंद्रघंटा के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि चंद्रमा जिनकी घंटा में स्थित हो, उस देवी का नाम चंद्रघंटा है। इस देवी के दस हाथ हैं। वे खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं। सिंह पर सवार इस देवी की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भरता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। पंडितों ने आज का विशेष भोग यानी नैवेद्य दूध और दूध से तैयार मिष्ठान बताया। देवी चंद्रघंटा को दूध और दूध से तैयार मिष्ठान चढ़ाने से साधकों के एवं साधकों के पूरे परिजनों का दुख-दरिद्र दूर होता है। पंडितों का कहना है कि माता दुर्गा आद्यशक्ति हैं। रूद्रयामल तंत्र में आद्यशक्ति का निर्वचन करते हुए प्रतिपादित किया गया है कि जो दुर्गा के समान अपने भक्तों की रक्षा करती है अथवा जो अपने भक्तों को दुर्गति से बचाती है, वह माता दुर्गा है। ब्रह्म, विष्णु और महेश उन्हीं की शक्ति से सृष्टि की उत्पत्ति, पालन-पोषण और संहार करते हैं। मार्कण्डेय पुराण में वर्णित है कि सांसारिक कष्टों यानी जिनको धर्म की भाषा में दुर्गति कहते हैं, उससे मुक्ति के लिए दुर्गा की उपासना से स्वर्ग जैसे भोग और मोक्ष जैसी शांति मिल जाती है।