मृर्तिकला में माहिर है मधुसूदन पकड़ी का किशोर चंद्रलोक
वैशाली प्रखंड के चकमुन्नी गांव में कांग्रेस नेता स्व. ललितेश्वर प्रसाद शाही की जयंती मनाई गई।
संवाद सूत्र, लालगंज :
लालगंज प्रखंड के एक छोटे से गांव मधुसूदन पकड़ी के चंद्रलोक की साधना और जुनून ऐसा कि उसकी बनाई कलाकृतियों का कोई जवाब नहीं। बिना कहीं से ट्रेनिग के, वह मूर्तिकला में ऐसा है कि देखने वाले खुशी से झूम उठते हैं। पांच भाई-बहनों में चंद्रलोक तीसरे नंबर पर है। आज से पांच साल पहले अचानक उसने भादो मास में मिट्टी, लकड़ी एवं अन्य सामान की व्यवस्था कर वह दुर्गाजी की मूर्ति बनाने लगा। देखते ही देखते नवरात्रा का समय आ गया। गांव के लोग कुछ दिन बाद दुर्गाजी, गणेश भगवान, सरस्वती मां, बाघ, भैंसा, एवं महिषासुर की प्रतिमा बना देख दंग रह गए। गांव के लोगो ने उसके हुनर को पहचाना और उसका सहयोग किया। फिर नवरात्रा में पूजा अर्चना शुरू हो गई।
तब से लेकर हर साल चंद्रलोक खुद से नवरात्रा में दुर्गाजी एवं अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा बनाता है और पूरे नौ दिन तक मां की साधना में लीन रहता है। उसकी इस अछ्वुत कला को देखने के लिए आसपास कई गांव के लोग आते है। चंद्रलोक ने बताया कि शहर से उसका गांव काफी दूर है। पूरा देहात का इलाका है। उसके गांव में कहीं दुर्गाजी की मूर्ति नहीं बैठाई जाती थी। पास में इतने पैसे भी नहीं थे कि वह बाजार जाकर दुर्गाजी का दर्शन करता या फिर मेला घूमता। फिर उसने खुद ही दुर्गाजी की प्रतिमा बनाने की ठानी। उसके बाद तो चंद्रलोक ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। चंद्रलोक के माता-पिता दिल्ली में रहते हैं। उसके पिता शिवचंद्र सहनी वहां मेकैनिक का काम करते है। चंद्रलोक यहां अपनी नानी के साथ रहता है।
पूर्व उप प्रमुख विनय कुमार राय, पूर्व पंचायत समिति सदस्य संदीप सहनी, वार्ड सदस्य नंदू सहनी, मनोज कुमार, पप्पू सहनी, दीना सहनी, लखिन्द्र सहनी, सिघासन सहनी, सतीश सहनी आदि ने बताया कि अन्य कारीगर फ्रेम से मूर्ति का निर्माण करते हैं लेकिन चंद्रलोक बिना फ्रेम के ही हाथ से सभी देवी-देवताओं की मूर्ति बना लेता है।