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जीर्णोद्धार के नाम पर खानापूर्ति से इस्माइलपुर पोखर अब भी बदहाल

हाजीपुर-जंदाहा राष्ट्रीय उच्च पथ 322 के किनारे इस्माइलपुर पोखर का जीर्णोद्धार लघु सिचाई विभाग ने करा तो दिया लेकिन उचित रखरखाव के अभाव में यह अब भी बदहाल बना हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 11:04 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 11:04 PM (IST)
जीर्णोद्धार के नाम पर खानापूर्ति से इस्माइलपुर पोखर अब भी बदहाल
जीर्णोद्धार के नाम पर खानापूर्ति से इस्माइलपुर पोखर अब भी बदहाल

राजेश, बिदुपुर (वैशाली) :

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हाजीपुर-जंदाहा राष्ट्रीय उच्च पथ 322 के किनारे इस्माइलपुर पोखर का जीर्णोद्धार लघु सिचाई विभाग ने करा तो दिया, लेकिन उचित रखरखाव के अभाव में यह अब भी बदहाल बना हुआ है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली अभियान के तहत तो 46 लाख 04 हजार 239 रुपये की लागत से इसका जीर्णोद्धार कराया गया है। लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण प्राक्कलन के अनुरूप कार्य नही किए जाने के आरोप लगाए जा रहे हैं।

बताते हैं कि विभागीय मिलीभगत के कारण जैसे-तैसे कार्य किए गए हैं। लघु जल संसाधन विभाग के जीर्णोद्धार कार्य में पोखर की उड़ाही, इनलेट का निर्माण एवं किनारे पौधारोपण किया जाना था। परंतु उड़ाही के नाम पर अगल-बगल जैसे-तैसे जेसीबी से मिट्टी खोद कर किनारा ऊंचा कर दिया गया। पोखर की उड़ाही समान रूप से नही कराए गए। आधे-अधूरे कार्य कराकर इसे इसी तरह उपेक्षित छोड़ दिया गया। अतिक्रमण के कारण पोखर के पुराने स्वरूप पर भी असर दिख रहा है।

मालूम हो कि सैकड़ों साल पुराने इस्माइलपुर पोखर के समीप सूर्य मंदिर स्थापित है। जहां लोक आस्था का छठ महापर्व धूमधाम से मनाया जाता है। जीर्णोद्धार कार्य को आधा-अधूरा छोड़कर केवल खानापूरी किए जाने से यहां पूजा-पाठ के दौरान स्नान करने वाले और जल लेने वाले लोगों की जान का खतरा बना हुआ है। जानकार बताते हैं कि पोखर की जमीन लगभग 5-6 एकड़ की है, जिसे अतिक्रमण किया गया है। इससे पोखर का पानी भी प्रदूषित हो रहा है। अतिक्रमण किए हुए लोग इसी पोखर में अपने घर के नाले का गंदा पानी बहा रहे हैं। वही मवेशियों को भी स्नान कराया जाता है। अति प्राचीन पोखर की साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं होने से गंदगी छाया हुआ है। अतिक्रमण के कारण पोखर के अस्तित्व पर लग रहा ग्रहण सरकारी पोखर-तालाबों से अतिक्रमण हटाने के स्पष्ट आदेश के बाद भी स्थानीय प्रशासन की उदासीनता बनी हुई है। पोखर के भूमि से अतिक्रमण नहीं हटाया गए। जिससे इसका अस्तित्व खतरे में नजर आता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पोखर के चारों ओर किनारे का सौदर्यीकरण करा दिया जाए तो यह स्थल पर्यटकों के लिए आकर्षण का एक केंद्र बन सकता है। जिला मुख्यालय से लगभग सात किलो मीटर की दूरी पर एनएच मुख्य मार्ग से सटा इस्माइलपुर पोखर का काफी पुराना इतिहास रहा है। वर्तमान समय में इस पोखर का उद्धार करने की जरूरत है। छठ पर्व मनाने के लिए यहां कई गांव के लोग आते हैं। लेकिन अतिक्रमण के कारण इसका अस्तित्व खतरे में है।


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