बारिश और जलजमाव ने तोड़ दी सोनपुर के सब्जी उत्पादकों की कमर
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संवाद सहयोगी, सोनपुर:
मूसलाधार बारिश और बाढ का पानी तो समय के साथ थम गया है, किन्तु इसने जो दर्द सब्जियां उपजाने वाले सोनपुर के किसानों को दिया है वह फिलहाल दूर होने वाला नहीं है। जिस सोनपुर की बाकरपुर मंडी से प्रदेश की राजधानी पटना सहित छपरा, सिवान, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर के साथ-साथ सीजन में सिलीगुड़ी से लेकर नेपाल तक सब्जियां जाती रही हैं, आज उस मंडी से जुड़े किसानों के दूर-दूर तक फैले खेतों में पानी में डूबकर हरी सब्जियों की फसलें सूख चुकी हैं। केवल सब्जियों के लत्तर दिखाई पड़ रहे हैं। गुरुवार को प्रखंड के विभिन्न इलाकों से बीज खरीदने बाकरपुर हाट पहुंचे किसानों ने बताया कि यहां पांच करोड़ रुपये से अधिक की सब्जियों की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। सब्जियों की फसलें बीमा के दायरे में भी नहीं हैं।
बाढ और मूसलाधार बारिश की मार ने हजारों किसानों की आर्थिक रीढ़ ही तोड़ दी है। रमसापुर के किसान सोनेलाल महतो, सिपाही महतो, छठु महतो, विनय सिंह, रूदल महतो, रविन्द्र महतो, बाकरपुर के किसान उपेन्द्र सिंह, जनार्दन सिंह, लालबाबू सिंह कुशवाहा तथा सहदेव सिंह, दुधैला पंचायत के मनोरंजन सिंह एवं सबलपुर के परमा राय आदि ने बताया कि नकदी फसलों के डूब जाने से किसानों की सारी आशाएं धरी की धरी रह गई हैं। काफी ऊंचे मूल्य पर खरीद कर लगाए गए बंदागोभी के बिचड़े भी पानी में डूब कर समाप्त हो गए।
सोनपुर अनुमंडल के सबलपुर, मकदुमपुर, राहरदियारा, जहांगीरपुर, दुधैला, गोविन्दचक, नयागांव समेत दरियापुर एवं परसा हरी सब्जियों के उत्पादन का बहुत बड़ा केन्द्र है। नेनुआ, झिगुनी, करैला, कुनरी, बैगन, भिडी, कद्दू तथा गोभी आदि की यहां बड़े पैमाने पर खेती होती है। यहां से पिकअप वैन और नावों से गंगा नदी होकर 50 प्रतिशत से अधिक हरी सब्जियां केवल पटना ले जायी जाती हैं। रोज सुबह विभिन्न घाटों से दो दर्जन से ज्यादा नावों पर किसान और व्यवसायी अपनी सब्जियां पटना के हाट-बाजारों में ले जाते हैं । अंटा घाट, दीघा आदि पटना के सब्जी हाट में अधिकतर सब्जियां यहीं की होती हैं। सीजन आते ही यहां से टमाटर तथा करैला सिलीगुड़ी और नेपाल तक सप्लाई होता है।
अभी उसी सोनपुर इलाके की हालत यह है कि जो थोड़े-बहुत ऊंचे स्थानों पर लगी सब्जियां पानी में डूबने से बच गई हैं, उन्हें ही लेकर किसान बाकरपुर मंडी में बेचने पहुंच रहे हैं। परिणामस्वरूप लगभग सभी हरी सब्जियों के भाव ऊंचे हो गये हैं। किसानों को यह आस लगी है कि सरकार उनकी भी सहायता और आर्थिक मदद करेगी। सबसे बड़ी समस्या है कि खेतों में लबालब पानी भरे होने से दूसरी फसलों की बोआई भी संभव नहीं है।