मनोरंजन के साथ सामाजिक कुरीतियों पर चोट
हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला धीरे-धीरे विविध रंगों से सराबोर होता जा रहा है। आधी-अधूरी तैयारियों की वजह से जहां मेला क्षेत्र में अभी आधुनिकता की चकाचौंध थोड़ी फीकी दिख रही है। वहीं मेला क्षेत्र में लोक परंपरा के साथ-साथ लोक संस्कृति की सोंधी खुशबू सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रही है।
वैशाली। हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला धीरे-धीरे विविध रंगों से सराबोर होता जा रहा है। आधी-अधूरी तैयारियों की वजह से जहां मेला क्षेत्र में अभी आधुनिकता की चकाचौंध थोड़ी फीकी दिख रही है। वहीं मेला क्षेत्र में लोक परंपरा के साथ-साथ लोक संस्कृति की सोंधी खुशबू सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। एक ओर जहां मेले में मनोरंजन के आधुनिक व पश्चिमी सभ्यता से प्रेरित थियेटर मंदी की मार झेल रहे हैं वहीं पर्यटन विभाग के मुख्य सांस्कृतिक पंडाल से लोक संस्कृति की सोंधी खुशबू मेला क्षेत्र में आने वाले देशी-विदेशी सैलानियों को अपनी ओर खासा आकर्षित कर रहे हैं। यहां दिन व रात में अलग-अलग कलाकारों की मंच पर प्रस्तुति का आनंद लोग बखूबी उठा रहे हैं। मुख्य सांस्कृतिक पंडाल में प्रतिदिन विभिन्न विभागों की ओर से आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से मेला क्षेत्र में न सिर्फ लोक संस्कृति की छटा बिखर रही है बल्कि इन कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में व्याप्त विभिन्न कुरीतियों पर पर करारा प्रहार किया जा रहा है।
कूड़ा-कचरा न घरवा में अरे लगाई ए बलम जी..
मेला क्षेत्र में बने पयर्टन विभाग के मुख्य सांस्कृतिक मंच से कलाकार न सिर्फ लोगों का मनोरंजन व भारत की समृद्ध लोक संस्कृति की झलक दिखा रहे हैं बल्कि समाज में व्याप्त कुरीतियों पर करारा प्रहार करते हुए लोगों को सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है। शुक्रवार को कलाकारों ने गीत-संगीत व नृत्य के माध्यम से न सिर्फ लोगों को जागरूक किया बल्कि कूड़ा-कचरा न घरवा में अरे लगाई ए बलम जी.. जैसे लोकगीत से स्वच्छता का संदेश दिया बल्कि कौने दिशा में लेके चला रे बटोहिया.., अंगना में बाबा, द्वारे पे मां.. जैसे गीत पर भावपूर्ण नृत्य कर लोगों की खूब तालियां बटोरी।
बेटियों ने भ्रूण हत्या पर किया करारा चोट
पर्यटन विभाग के मुख्य सांस्कृतिक पंडाल में कस्तूरबा गांधी बालिका उच्च विद्यालय, मीना मंच के बच्चों ने शिक्षा पर आधारित लोकगीत, नाटक व भजन के साथ-साथ भ्रूण हत्या पर करारा प्रहार किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में छात्राओं ने हम कस्तूरबा की बेटियां अलख जगाने आई हैं.. संगीत से जहां लोगों को अपने हौसले की उड़ान दिखाई। वहीं जे ही कोख बेटा जनमे, ओ ही कोख बेटी जनमे.. भावपूर्ण गीत की प्रस्तुति से समाज में व्याप्त भ्रूण हत्या पर करारा प्रहार किया। इसके अलावा अब तो कदम उठाना होगा नाटक के माध्यम से नशामुक्ति के नारे को बुलंद किया।
दिव्यांग आयुष के भजन पर भावुक हुए लोग
मुख्य सांस्कृति पंडाल के मंच से जैसे ही दिव्यांग आयुष ने भगत के वश में है भगवान भजन की प्रस्तुति दी, दर्शक दीर्घा में बैठे लोग भावुक हो उठे। दोनों आंखों से दिव्यांग आयुष उत्क्रमित मध्य विद्यालय शीतलपुर कोठी में तीसरी कक्षा के छात्र हैं। आयुष भले ही अपनी आंखों से इस रंगीन दुनिया को न देख पाता हो लेकिन उसकी सुरीली आवाज व भोली सूरत के सभी कायल हैं।