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मानव सभ्यता के विकास की पहली कड़ी है कृषि, समुचित विकास आवश्यक : निदेशक

वैशाली। किसी भी राष्ट्र का उत्थान ऊंचाई एवं प्रगति कृषि के बगैर संभव नहीं है। कृषि हर क्षेत्र में विकास के लिए नींव का ईंट के समान है। कृषि मानव सभ्यता के विकास की पहली कड़ी है। कृषि का चक्र सिर्फ फसल उत्पादन तक सीमित नहीं है बल्कि उसके विकास के लिए विपणन का होना आवश्यक है। जब सभी किसान आगे बढ़ेंगे तभी हम उन्नति करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 11:17 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 11:17 PM (IST)
मानव सभ्यता के विकास की पहली कड़ी है कृषि, समुचित विकास आवश्यक : निदेशक
मानव सभ्यता के विकास की पहली कड़ी है कृषि, समुचित विकास आवश्यक : निदेशक

वैशाली। किसी भी राष्ट्र का उत्थान, ऊंचाई एवं प्रगति कृषि के बगैर संभव नहीं है। कृषि हर क्षेत्र में विकास के लिए नींव का ईंट के समान है। कृषि मानव सभ्यता के विकास की पहली कड़ी है। कृषि का चक्र सिर्फ फसल उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि उसके विकास के लिए विपणन का होना आवश्यक है। जब सभी किसान आगे बढ़ेंगे तभी हम उन्नति करेंगे। यह बातें दिग्घी कलां किसान भवन में एक दिवसीय जिला स्तरीय रबी कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करने के बाद कृषि निदेशक राजीव रोशन ने कहीं। कार्यशाला की अध्यक्षता डीएओ अरविद कुमार झा तथा संचालन सियाराम साहू ने की।

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उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के डेढ़ वर्ष के अंतराल बाद पहली बार बिहार में इतनी बड़ी संख्या में आज हर जिले में रबी कर्मशाला आयोजित हो रहा है। यह राज्य की खुशहाली के लिए शुभ संकेत है। उन्होंने कृषि अधिकारी एवं कर्मियों को सुझाव देते हुए कहा कि प्रकृति की अमूल्य विरासत के रूप में मौजूद जल संचय के बारे में ध्यान देना होगा। उन्होंने जैविक कारिडोर, अंतरवर्ती खेती एवं उर्वरक की उपलब्धता के बारे में भी जानकारी दी। कार्यक्रम में डीडीसी विजय प्रकाश मीणा ने किसानों को बेहतर प्रशिक्षण, जागरूकता एवं फसल उत्पादन के चयन की जानकारी देने पर बल दिया। फसल बीमा को किसान के लिए वरदान बताते हुए उन्होंने विभागीय अधिकारी एवं कर्मियों से कहा कि आप ही किसान के मित्र, सहयोगी, सूत्रधार एवं गाइड है। कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए किसान के साथ आत्मीयता एवं कर्तव्यनिष्ठा की नीति अपनानी होगी तभी कृषि विभाग उत्थान कर सकता है।

इस दौरान संयुक्त कृषि निदेशक राम प्रकाश सहनी ने जैविक कारिडोर, नमामि गंगे, डीप एवं जलवायु अनुकूल खेती करने के लिए किसानों को सुझाव देने का निर्देश दिया। कृषि विज्ञान केंद्र के कोआर्डिनेटर डा. सुनीता कुशवाहा ने कहा कि कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारी एवं वैज्ञानिक आपसी समन्वय बनाकर जिला में जगह-जगह कार्य करना प्रारंभ करें तो किसानों को काफी लाभ होगा। इस दौरान सहायक निदेशक उद्यान ओपी मिश्रा, सहायक निदेशक कृषि अभियंत्रण अभिमन्यु कुमार, पौधा संरक्षक अजीत शरण, ललन चौधरी, अजीत कुमार, अजीत ठाकुर, शशिरंजन भारती, रविद्र यादव, महताब खान आदि उपस्थित थे।

रबी कर्मशाला के दौरान गेहूं, मक्का, तिलहन एवं दलहन के लिए लक्ष्य की घोषणा नहीं की गई है। बताया गया कि कृषि समन्वय से रिपोर्ट मिलने के बाद ही क्षेत्रफल की घोषणा की जाएगी। इफको जिला प्रबंधक पीके मिश्रा ने नैनो यूरिया के इस्तेमाल करने की विधि एवं उसके महत्व पर प्रकाश डाला। दूसरी पाली में विभिन्न प्रखंडों के कृषि पदाधिकारी सतीश राय, नवीन कुमार, अरुण चौधरी, रत्नेश कुमार, नसीम अंसारी, उर्वशी वर्मा आदि ने जिले के विभिन्न प्रखंडों से आए कृषि समन्वयक, किसान सलाहकार एवं एटीएम-बीटीएम को प्रशिक्षण दिया।


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