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छह कट्ठा जमीन में बसे हैं 150 मुसहर परिवार

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By JagranEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 11:06 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 07:44 AM (IST)
छह कट्ठा जमीन में बसे हैं 150 मुसहर परिवार
छह कट्ठा जमीन में बसे हैं 150 मुसहर परिवार

संवाद सूत्र, सहदेई बुजुर्ग :

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एक ओर विकास के दावे तो दूसरी ओर इन दावों पर दम तोड़ती हकीकत। आजादी के 70 सालों के बाद भी सहदेई बुजुर्ग प्रखंड के नयागांव पूर्वी पंचायत की वार्ड संख्या नौ में रहने वाले मुसहर जाति के लोगों की तकदीर नहीं बदली। इन लोगों के लिए आज भी विकास केवल एक सपना ही बनकर रह गया है। पंचायत की वार्ड संख्या 09 में लगभग छह कट्ठा जमीन में ही डेढ़ सौ परिवार बिना खिड़की किवाड़ वाले घरों में निवास करते हैं। इतने परिवारों के बीच केवल पांच घर में ही शौचालय बने हैं। अन्य सभी लोगों के लिए आज भी शौचालय केवल एक सपना है। स्थानीय लोगों के अनुसार सरकार द्वारा 80 के दशक में इन लोगों को बिना खिड़की किवाड़ लगा हुआ खपरैल घर दिया गया था। बाद में पंचायत की योजना से बारी-बारी सभी घरों पर छत डाल दी गयी। लेकिन आज तक इन घरों में खिड़की किवाड़ तक नहीं लग सकी। आज ये घर पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं।

ये सभी लोग इसी पंचायत में स्थित एक बांध पर अपना आशियाना बनाने को गए थे। लेकिन आसपास के दबंगों ने इन लोगों को वहां से खदेड़ दिया। भूमि के अभाव में लोगों को आवास योजना का लाभ नहीं मिल रहा। लगभग 75 परिवार है जिन्हें आवास की जरूरत है।

एक ओर स्वच्छता मिशन के तहत शौचालय बनाने का दावा है तो दूसरी ओर इस बस्ती में इन दावों की पोल खोलती हकीकत भी है। डेढ़ सौ परिवारों के बीच केवल छह घर में ही शौचालय हैं। शेष सभी लोगों के लिए शौचालय आज भी सपना है। शौचालय के लिए इन लोगों ने बार-बार पंचायत के प्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक से आग्रह किया लेकिन इन्हें शौचालय नहीं मिल सका। कहा गया जमीन नहीं है तो शौचालय कहां मिलेगा। जहां भूमि नहीं है वहां सामुदायिक शौचालय बनाने का प्रावधान सरकार ने किया लेकिन यहां सामुदायिक शौचालय बनाने की बात तो दूर आज तक इसके लिए आधिकारिक रूप से स्थल चयन तक नहीं हो सका है।

स्थानीय जिला पार्षद मनिन्द्र नाथ सिंह ने कहा कि राज्य सरकार के अभियान बसेरा के तहत इन लोगों को नया घर बनाकर बसाने की व्यवस्था की जानी चाहिये। इस सम्बंध में पंचायत सचिव दिनेश प्रसाद ने कहा कि यहां जो कमी है वह पंचायत के स्तर से नहीं है।आवास के लिए जमीन की व्यवस्था अंचल कार्यालय को करनी है।


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