धूमधाम से हुई मां काली की पूजा-अर्चना
सुपौल। देवी-देवताओं के देश भारत में पूजा-अर्चना की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लोग धन
सुपौल। देवी-देवताओं के देश भारत में पूजा-अर्चना की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लोग धन-धान्य की प्राप्ति, सुख-समृद्धि व मानसिक शांति के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। दीपावली के अवसर पर जिले में मां काली की भी पूजा-अर्चना की परंपरा है और यह परंपरा वर्षो से कायम है। इस दिन जिले में कई जगहों पर काली की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है। जिला मुख्यालय स्थित रेलवे माल गोदाम, मलहद स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर, बीआरसी परिसर, मल्लिक चौक, बाबा पीठ कर्णपुर, सुखपुर आदि जगहों पर मां काली की पूजा अर्चना की गई। कर्णपुर में बाबापीठ स्थित काली मंदिर में परंपरानुसार छप्पन भोग लगाये गये। मलहद स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर में सैकड़ों छागो की बलि दी गई। काली पूजा समिति मलहद के अध्यक्ष अतुल चौधरी, सचिव शारदाननंद झा ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना 1990 में की गई। तब से यहां हर वर्ष पूजा होती है और मेले का आयोजन किया जाता है। वहीं रेलवे माल गोदाम काली पूजा समिति के अध्यक्ष दिलखुश ठाकुर ने बताया कि काली पूजा के अवसर पर 10 नवंबर को आर्केस्ट्रा का आयोजन किया गया है। वहीं बलबा पुनर्वास स्थित काली मंदिर परिसर में भी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन है।