उपेक्षित नहरों पर अतिक्रमणकारियों का बोलबाला
सुपौल। लगातार उपेक्षा से जर्जर हो चुकी कोसी नहरों से किसानों को एक बूंद पानी नसीब नहीं ह
सुपौल। लगातार उपेक्षा से जर्जर हो चुकी कोसी नहरों से किसानों को एक बूंद पानी नसीब नहीं हो रहा है। वहीं नहर की सैकड़ों एकड़ भूमि का अता पता नहीं चल रहा है। अधिकांश नहरें अतिक्रमण की शिकार बनी है। कई जगहों पर तो किसानों ने नहर के पाट में ही खेती शुरू कर दी है। प्रखंड के बहुअरवा गांव के वार्ड नंबर 9 के गम्हरिया केनाल से निकलकर एक किमी पूरब ठाढी भवानीपुर तक जाने वाली छोटी नहर पर नजर दौड़ाएं तो नहर पर जगह-जगह लोगों के घर खड़े नजर आते हैं। नहर के दोनों तरफ की जमीन पर अवैध कब्जा है। ऐसी ही कहानी लगभग पूरे प्रखंड की है। प्रखंड के गांव मुहल्ले से गुजरने वाली नहरें लापता हो चुकी हैं। कई पर सड़कें बन गई हैं तो कई अतिक्रमण की चपेट में हैं। इधर, विभागीय सूत्रों की माने तो कोसी नहर का निर्माण करने के लिए लगभग साठ साल पहले भूमि अधिग्रहित की गई थी। इस भूमि का कोई रिकार्ड ¨सचाई विभाग के पास नहीं है। सारे अभिलेख पूर्णिया स्थित भू-अर्जन कार्यालय को भेजा गया था। विभाग के पास अमीन की भी कमी है। पुराने स्टाफ सेवानिवृत होते हैं तो उनकी जगह कोई नया नहीं आता। वहीं विभाग के पास अधिग्रहित जमीन को निकालने के लिए कोई सिस्टम भी कार्यरत नहीं है। इधर कोसी योजना के विफल हो जाने के कारण प्रखंड के किसान बेहद परेशान हैं। इन प्रखंडों के तकरीबन दर्जनों गांवों में गेहूं व धान की खेती पर खराब असर पड़ा है। जमीन की उर्वरा शक्ति भी घट गई है।