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नमो देव्यै महादेव्यै:::::बालिका शिक्षा के प्रति जुनून ही है अलका की पहचान

लगातार पांच दिनों से हो रही बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। हालांकि सोमवार को बारिश ने जिलेवासियों को कुछ राहत दी है। जिससे लोग जरूरी कार्य से बाजार निकल सके। वैसे जलजमाव में कोई अंतर नहीं आया है। शहर के अधिकांश क्षेत्रों में जलजमाव बरकरार है। कई मुहल्ले में लोगों के घरों में घुसा बारिश का पानी अब तक नहीं निकल पाया है। कई सरकारी कार्यालय और परिसर भी जलजमाव की चपेट में है। बिजली पावरग्रिड की स्थिति विकट हो गई है। हालांकि बारिश से पूर्व ही पावरग्रिड परिसर में जलजमाव हो गया था जिसकी कोई सुधि नहीं ली गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 05:54 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 05:54 PM (IST)
नमो देव्यै महादेव्यै:::::बालिका शिक्षा के प्रति जुनून ही है अलका की पहचान
नमो देव्यै महादेव्यै:::::बालिका शिक्षा के प्रति जुनून ही है अलका की पहचान

जागरण संवाददाता, सुपौल : आरकेबी हाई स्कूल त्रिवेणीगंज की प्राचार्य अलका वर्मा आज किसी पहचान की मोहताज नहीं। विगत 36 वर्षो से वह बालिका शिक्षा के लिए समर्पित हैं। नारी सशक्तीकरण में भूमिका निभाने के लिए 08 मार्च 2016 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जिला पदाधिकारी सुपौल द्वारा इन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है। वे बताती हैं कि वे जिस समय पढ़ती थी तो पिपरा उच्च विद्यालय में वह एक मात्र लड़की थी। उस समय से ही उन्हें सुदूर गांव की लड़कियों को पढ़ाने का जुनून सवार हुआ। बताती हैं कि उस समय जनसहयोग से त्रिवेणीगंज में एक बालिका विद्यालय खोला गया और वे उससे जुड़ गई। दो छात्राओं से शुरू हुए उस विद्यालय में उस जमाने में लड़कियों को प्रेरित कर विद्यालय लाना एक कठिन कार्य था। बावजूद लड़कियों को विद्यालय तक लाने में मैं भूमिका निभाती रही। कहती हैं कि उस समय लड़कियों का पढ़ना आसान नहीं था। समाज भी इतना जागरूक नहीं था। इसके लिए लड़कियों के साथ उनके अभिभावकों को भी समझाना पड़ता था। उन्हें बेटा-बेटी के बीच फर्क नहीं है यह समझाना बहुत ही कठिन था। कहीं-कहीं तो विकट स्थिति भी पैदा हो जाती थी। अभिभावक ताने देने लगते लेकिन वे अपने इस अभियान में जुटी रही। उन्होंने संतोष जताया कि आज उनका बोया छोटा पौधा वट वृक्ष बन गया है। कहती हैं कि लड़कियों को खेलकूद के प्रति प्रेरित करने में भी उन्होंने भूमिका निभाई। छात्राओं को विभिन्न प्रतियोगिता के लिए जिले से लेकर प्रदेश तक वे अपने साथ लेकर गई। छात्राओं ने राज्य ही नहीं राष्ट्र स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई।समाज के लोगों को इनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है।

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काव्य एवं साहित्य में अभिरुचि के कारण इन्हें कामेश्वर पोद्दार स्मृति सम्मान 2006, सछ्वावना साहित्य सम्मान 2008, शांति- मैत्री सम्मान 2010, तुलसी दास सम्मान एवं साहित्य अलंकरण 2012, रहीम सम्मान एवं साहित्य अलंकरण 2014, काव्य गौरव 2014, जन साहित्य सेवा सम्मान 2017, नागार्जुन सम्मान एवं साहित्य अलंकरण 2017, कौशिकी साहित्य रत्न 2017, सुभद्रा कुमारी चौहान राष्ट्रीय शिखर सम्मान 2017 आदि से नवाजा जा चुका है।


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