कैसे टूटे चेन! न आदेश का खौफ न ही संक्रमण की चिता
सुपौल। सूबे में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को लेकर इस पर अंकुश लगाने तथा संक्रमण की
सुपौल। सूबे में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को लेकर इस पर अंकुश लगाने तथा संक्रमण की चेन को तोड़ने के उद्देश्य से सरकार द्वारा 16 से 31 जुलाई 2020 तक के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई, जिसकी मियाद आज पूरी हो जाएगी। उद्देश्य था कि लॉकडाउन के दौरान लोग अपने-अपने घरों में रहेंगे, सोशल डिस्टेंसिग का पालन करेंगे। तब जाकर संक्रमण के चेन को तोड़ने में कामयाबी मिल पाएगी। सरकार के फरमान का अनुपालन करवाने की जिम्मेवारी जिनके कंधों पर रही शायद वे भी इस लॉकडाउन के दौरान उदासीन ही दिखे। नतीजा रहा कि लॉकडाउन की घोषणा के बीच कई तरह के अंकुश के बावजूद लोगों की ही मनमर्जी चली। लोगों ने लॉकडाउन के फरमान की अनदेखी की और खुद ही संक्रमण को न्योता देते रहे। जहां तक सुपौल जिले की बात है तो सुपौल जिला भी कोरोना विस्फोट के दौर से गुजर रहा है। 01 जुलाई को जिले में संक्रमितों की संख्या 247 और एक्टिव मामले 32 थे। वहीं 30 जुलाई तक बढ़कर संक्रमितो की संख्या 858 और एक्टिव मामले 306 पर पहुंच गए हैं।
लॉकडाउन की सफलता को सुनिश्चित कराने को लेकर जिला प्रशासन द्वारा चौक-चौराहों सहित चिन्हित स्थलों पर दंडाधिकारी के साथ पुलिस पदाधिकारी और जवानों की तैनाती की गई। आदेश के अनुपालन और विधि व्यवस्था को लेकर गश्ती दल की भी प्रतिनियुक्ति की गई। बावजूद शहर में लोगों की मनमर्जी ही दिखी। लॉकडाउन की परिधि से अलग रखे गए दुकानों के अलावे अन्य दुकानें भी खुलती रही। फुटपाथ पर बाजार तो चलता ही रहा साथ ही साथ सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही भी बेरोकटोक जारी रही। लॉकडाउन की परिधि से अलग रखे गए दुकानों के अलावे अन्य दुकानों के खुलने पर पुलिस प्रशासन ने कभी कभार थोड़ी सख्ती दिखाई। कितु हालात फिर वही हो गए। 29 जुलाई को लॉकडाउन के उल्लंघन के आरोप में पुलिस प्रशासन ने दो दुकानदार को गिरफ्तार किया और उन पर कार्रवाई की। कितु गुरुवार को फिर एक बार बाजार की स्थिति वही की वही दिखी। ऐसा लग रहा था मानो लोगों को न तो लॉकडाउन के आदेशों के पालन की कोई चिता है और न ही संक्रमण का ही कोई खौफ। सोशल डिस्टेंसिग तो कहीं दिख ही नहीं रहा। ऐसे में सुपौल जिले में संक्रमितों का आंकड़ा कहां तक जाएगा कुछ कहा नहीं जा सकता। लॉकडाउन के दौरान भी लोगों की मनमर्जी के कारण संक्रमण का चेन तोड़ने में कामयाबी न के बराबर ही मिलती दिख रही है।