आक्सीजन मामले में मजबूत स्थिति में सुपौल, 64 बेड पर पाइप लाइन, बफर स्टाक में 838
-कोरोना की जंग शुरू हो गई है और इससे दो-दो हाथ करने के लिए विभाग ने कस ली है कम जागरण
-कोरोना की जंग शुरू हो गई है और इससे दो-दो हाथ करने के लिए विभाग ने कस ली है कम
जागरण संवाददाता, सुपौल: कोरोना की जंग शुरू हो गई है और इस वायरस से दो-दो हाथ करने के लिए विभाग ने कमर कस ली है। हालांकि, कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन को लेकर देश के विभिन्न भागों में हाय-तौबा मची रही। ये अलग बात है कि सुपौल जिले में वह स्थिति देखने को नहीं मिली। अब जब कोरोना फिर से पांव पसारता जा रहा है तब सदर अस्पताल परिसर में दो-दो आक्सीजन प्लांट कार्यरत हैं और पाइप लाइन के जरिये इमरजेंसी वार्ड में 19 बेड, लेबर रूम में 10 बेड, पीकू वार्ड में 10 बेड तथा कोविड वार्ड में 25 बेड यानि कुल 64 जगहों पर आक्सीजन पहुंचाया जा रहा है। मालूम हो कि सदर अस्पताल परिसर में डीआरडीओ के सौजन्य से एनएचएआइ द्वारा एक आक्सीजन प्लांट का निर्माण करवाया गया है तो दूसरा भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल द्वारा निर्माण करवाया गया है।
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838 है बफर स्टाक में सिलेंडर
कोरोना के मद्देनजर बी टाइप 543 सिलेंडर एवं डी टाइप 295 सिलेंडर बफर स्टाक के लिए रेडी है। फिलहाल रोगी कल्याण समिति द्वारा अखिलेश गैस एजेंसी से आक्सीजन आपूर्ति का करार किया गया है। इसके अलावा 267 आक्सीजन कंसंट्रेटर भी विभाग के पास मौजूद है। मौजूदा समय में विभाग के पास आक्सीजन से संबंधित जो संसाधन मौजूद हैं उसे देख यह कहना गलत नहीं होगा कि यहां आक्सीजन की कोई कमी नहीं होगी।
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4 से 10 सिलेंडर है अस्पतालों के पास
आक्सीजन के मद्देनजर विभाग की मजबूत स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सदर अस्पताल को छोड़ जिले के अन्य अस्पतालों में 4 से 10 की संख्या में बी टाइप सिलेंडर आवंटित किए गए हैं। कुल मिलाकर देखा जाय तो आक्सीजन को लेकर व्यवस्था दुरुस्त कर ली गई है। वैसे सदर अस्पताल में लगे आक्सीजन प्लांट में रिफीलिग की अगर व्यवस्था हो जाया तो यह जिला आक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
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कोट-
हर चीज के लिए कोषांग बने हुए हैं। हमलोग कोरोना से लड़ने के लिए हर स्थिति में तैयार हैं।
-बालकृष्ण चौधरी
डीपीएम, जिला स्वास्थ्य समिति सुपौल