अस्पताल में सालभर से नहीं हो रही रोगी कल्याण समिति की बैठक
पहले जब मनोरंजन के साधन कम थे और उनका विकास नहीं हुआ था तब नाटक के माध्यम से ही लोग मनोरंजन किया करते थे। गांव की चौपालों पर नाट्य कला परिषदों की धमक होती थी। गांव के लोग इकट्ठे होते थे और होता था तरह-तरह के नाटकों का मंचन। कभी नाटक के माध्यम से राजा हरिश्चन्द्र की कहानी से लोगों को अवगत कराया जाता था। तो कभी नाटक के माध्यम से लैला-मजनू सोनी महिवाल हीर-रांझा शीरी-फरहाद के किस्से का चित्रण होता था।
सुपौल। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं में जन भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में रोगी कल्याण समिति की अवधारणा को सख्ती से लागू किया गया। परंतु विभागीय अफसरों की मनमर्जी व उदासीन रवैये के कारण प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इसका बिल्कुल ही अनुपालन नहीं हो पा रहा है। जिससे आमजनों को समुचित स्वास्थ्य सेवा मयस्सर नहीं हो रही है। स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के कार्य भार संभालने के उपरांत त़करीबन साल भर से रोगी कल्याण समिति की बैठक नहीं हुई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रबंधन में अपेक्षित सहयोग हेतु रोगी कल्याण समिति का गठन किये जाने का प्रावधान है। परंतु वस्तुस्थिति यह है कि यहां रोगी कल्याण समिति का गठन तो किया गया है, परंतु वह सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति के लिये। नतीजतन यह समिति निष्क्रिय बनी हुई है।
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रोगी कल्याण समिति का दायित्व
रोगी कल्याण समिति मरीजों की जरूरतों के अनुसार राशि के व्यय एवं निवेश की प्राथमिकता तय करते हुए वित्तीय प्रबंधन करती है। अस्पताल में जीवन रक्षक औषधी, सर्जिकल उपकरण, चिकित्सीय सामग्री, भोजन समेत स्वच्छता संबंधी सेवाओं के सन्दर्भ में उचित निर्णय लेती है। समिति के सदस्यों का दायित्व रोगियों से संवाद के जरिये उनकी कठिनाइयों को चिन्हित कर फीडबैक प्रणाली विकसित करना है। अस्पताल में प्रतिनियुक्त चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के उपस्थिति की मॉनिटरिग, औषधियों की उपलब्धता, रोगियों के साथ स्वास्थ्य कर्मियों का बर्ताव, रोगियों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं की समुचित जानकारी लेना समिति का दायित्व है। इसके अलावा अस्पताल पहुंचे रोगियों की संतुष्टि हेतु प्रदत्त स्वास्थ्य सुविधाओं में आवश्यक सुधार लाना भी उक्त समिति का उत्तरदायित्व बनता है।अस्पताल के कुप्रबंधन की बात करें तो रोस्टर के अनुसार चिकित्सकों की ड्यूटी में घोर अनियमितता बरती जा रही है।बतौर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. नवीन कुमार अस्पताल में कभी भी ज्यादा देर टिकते नहीं। जरूरत पड़ने पर अपनी उपस्थिति जरूर दर्ज करा जाते हैं। इमरजेंसी में एक ही चिकित्सक द्वारा एक ही राइटिग में मरीजों का नाम चढाने, ओपीडी रजिस्टर में मरीजों का सीरियल नंबर दर्ज करने में हेराफेरी, एएनएम व स्वास्थ्य कर्मियों की मिलीभगत से बाहर निजी नर्सिंग होम में डिलीवरी कराये गए बच्चे का नाम रजिस्टर में दर्ज कर राशि का बंदरबांट करने के अलावा अनावश्यक तौर पर निजी वाहनों को किराए पर रखकर राशि का दुरूपयोग किया जा रहा है। अस्पताल प्रबंधक चिकित्सा पदाधिकारी के मातहत बने हुए हैं। लिहाजा उनके इशारे पर स्वास्थ्य कर्मियों की ड्यूटी लगाकर बदले में मोटी रकम की उगाही कर रहे हैं। कायदे से महिला चिकित्सक की अनुपलब्धता को देखते हुए पदस्थापित पुराने एवं अनुभवी नर्सों को प्रसव कक्ष में स्थाई तौर पर बहाल किया जाना चाहिए था। परंतु अवैध उगाही के दम पर नए और गैर अनुभवी नर्सों को प्रसव कक्ष में बिठाकर उम्रदराज अनुभवी नर्सों से क्षेत्र में टीकाकरण का कार्य लिया जा रहा है।