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पीछे छूट रहा विकास, अब लड़ाई दिखने लगी है देश के नाम

यह सुपौल लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत पड़ने वाला पिपरा प्रखंड है। पूर्व में यह त्रिवेणीगंज विधानसभा क्षेत्र का अंग हुआ करता था लेकिन आज इसका अपना वजूद है। यह पिपरा विधान सभा क्षेत्र कहलाता है। अंग्रेज के जमाने से खाजा के लिए मशहूर जगह। यहां के शुद्ध घी के खाजा के विदेशों में भी कायल हैं। आर्डर पर बनकर यह संदेश विदेशों तक जाता है। जिस तरह यहां के खाजा की अपने तरह की बनावट है उसी तरह यहां के लोगों के अपने मिजाज हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 05:39 PM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 05:39 PM (IST)
पीछे छूट रहा विकास, अब लड़ाई दिखने लगी है देश के नाम
पीछे छूट रहा विकास, अब लड़ाई दिखने लगी है देश के नाम

सुपौल। यह सुपौल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाला पिपरा प्रखंड है। पूर्व में यह त्रिवेणीगंज विधानसभा क्षेत्र का अंग हुआ करता था। लेकिन आज इसका अपना वजूद है। यह पिपरा विधानसभा क्षेत्र कहलाता है। अंग्रेज के जमाने से खाजा के लिए मशहूर जगह। यहां के शुद्ध घी के खाजा के विदेशों में भी कायल हैं। आर्डर पर बनकर यह संदेश विदेशों तक जाता है। जिस तरह से यहां के खाजा की अपने तरह की बनावट है, उसी तरह यहां के लोगों के अपने मिजाज हैं। तभी न यहां के मतदाता सड़क, बिजली, पानी, रसोई गैस,आंगनबाड़ी की बदहाली, स्कूलों की व्यवस्था की बात करते-करते राष्ट्रहित पर मुखर होने लगे हैं। यहां आमने-सामने के मुकाबले में महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी निवर्तमान सांसद रंजीत रंजन और राजग के जदयू प्रत्याशी दिलेश्वर कामैत के कामों को लेकर कोई विशेष चर्चा नहीं होती। एक मुद्दा था यहां स्थानीय प्रत्याशी का। जिनका अपना कद है, कुनबे पर पकड़ है, उनको दल द्वारा टिकट से वंचित कर दिए जाने का मलाल लोगों में दिख रहा है लेकिन अब शेष लड़ाई देश के नाम दिखने लगी है। ये पिपरा का चौराहा है। एनएच 327 ई और एनएच 106 दोनों एक दूसरे को काटते यहां से निकलती है। खाजा की ही दुकान है चार पांच की संख्या में लोग बैठे हैं। मैं भी खाजा के बहाने ही रुक गया। बात चल ही रही थी कि मैंने बीच में ही पूछ डाला कि यहां का क्या सीन बन रहा है। तपाक से महेशपुर निवासी रामप्रसाद बोल पड़े-सीन क्या होगा सर सबकुछ साफ - साफ झलक रहा है। आमने सामने दोनों गठबंधन है। दोनों का अपना-अपना वोट है, दो-चार दिन तो बचा है सबकुछ झलक जाएगा। लेकिन बात कुछ स्पष्ट नहीं हुई तो मेरी जिज्ञासा थोड़ी और बढ़ी मैंने पूछा यहां चुनाव का मुद्दा क्या है? जवाब मिला मुद्दा क्या होता है? ई सब इलाका में वोट में कोई मुद्दा नहीं होता। जातीय समीकरण जिसका जैसा होगा उसका पलड़ा उतना ही भारी होगा। बात कुछ स्पष्ट नहीं हुई, मैंने वहां से सुपौल की ओर आने वाली एनएच 327 ई सड़क पकड़ी। सड़कों पर फर्राटे भरती गाड़ियां विकास की परिभाषा बता रही थी। ये निर्मली बाजार है धूप काफी तेज हो चली है, कुछ लोग एक कदम के पेड़ के नीचे खड़े मिले। मैंने अपना परिचय देते कुछ राजनीतिक सरगर्मी की बात शुरु की। यह राजनीतिक रूप से काफी सजग जगह है। अपने जमाने के राजनीतिक दिग्गज रहे जगदीश मंडल और वर्तमान में उनके पुत्र पूर्व सांसद विश्वमोहन कुमार जिनकी राजनैतिक पहचान है इसी माटी से हैं। हाल के दिनों में जब भी राजनीति और टिकटों की चर्चा हुई तो जिले में एक मजबूत ध्रुव विश्वमोहन कुमार को माना जाता रहा है। यहां बात शुरु करते ही पहले उनकी ही चर्चा हो गई। वहां के लोगों का कहना था कि देखिए टिकट के भी सही हकदार वही थे। वे होते तो सीन भी कुछ अलग होता। लेकिन खैर पार्टी और गठबंधन का निर्णय है इसलिए कोई भी मुद्दा अब गौण हो गया है। यहां देशहित सर्वोपरि है। संजीव पासवान बीच में ही तपाक से बोल पड़े, स्थिति नहीं देख रहे हैं देश कहां जा रहा है। दो दिन पहले न्यूज में नहीं सुने कि सिद्धू किस तरह एक खास कौम को एकजुट हो मतदान का आह्वान कर रहा था। ऐसे में तो पहले देश है फिर कुछ और। विनोद चौधरी बोले कि देखिए क्षेत्र में काम भी अच्छा हुआ है। निवर्तमान सांसद ने क्षेत्र का मान भी बढ़ाया है। दोनों उम्मीदवारों के बीच आमने-सामने का टक्कर भी है लेकिन ये भी सही है कि लोग नीचे नहीं, ऊपर देखने लगे हैं। ऐसे में खुद अंदाजा लगा लीजिए कि सीन क्या बन रहा है। आगे बढ़े तो पथरा चौक मिला यहां मुलाकात हो गई शिवशंकर मंडल से वे किसान हैं। उनकी अपनी व्यथा थी, बोले कि कोसी के इलाके में शायद यह इकलौता पंचायत होगा जहां सिचाई के लिए नहरों की कोई व्यवस्था नहीं है। गांव में सडकों की भी दरकार है। लेकिन इन समस्याओं के बावजूद वे बोले कि देखिए ये सब कोई चुनावी मुद्दा नहीं है। हालांकि जहां रतौली में वर्षों से एक पुल नहीं बनने का मलाल उनके अंदर दिखा वहीं इलाके से नई रेललाइन गुजरेगी। इससे काफी खुशी भी दिखी। बोले वोट तो करना ही है और पूरे विवेक से। चूंकि फिलहाल देश जिस दौर से गुजर रहा है तो यह लड़ाई भी अभी देश के नाम है।

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