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मेगा ब्लॉक के बाद सड़क यातायात बना वाहन मालिकों के लिए कामधेनु

सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड पर आमान-परिवर्तन के नाम पर तीन चरण में लिए गए मेगा ब्लॉक के बाद रेल परिचालन अब तक सुनिश्चित नहीं हो पाने का मलाल लोगों में दिख रहा है। मेगा ब्लॉक के बाद से ही सड़क यातायात के नाम पर वाहन मालिकों द्वारा इस क्षेत्र के लोगों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। वाहन मालिक न तो परिवहन के नियमों का ही पालन कर रहे हैं और न ही परिवहन विभाग ही उन पर कभी सख्ती दिखाता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 07:45 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 07:45 PM (IST)
मेगा ब्लॉक के बाद सड़क यातायात 
बना वाहन मालिकों के लिए कामधेनु
मेगा ब्लॉक के बाद सड़क यातायात बना वाहन मालिकों के लिए कामधेनु

सुपौल। सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड पर आमान-परिवर्तन के नाम पर तीन चरण में लिए गए मेगा ब्लॉक के बाद रेल परिचालन अब तक सुनिश्चित नहीं हो पाने का मलाल लोगों में दिख रहा है। मेगा ब्लॉक के बाद से ही सड़क यातायात के नाम पर वाहन मालिकों द्वारा इस क्षेत्र के लोगों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। वाहन मालिक न तो परिवहन के नियमों का ही पालन कर रहे हैं और न ही परिवहन विभाग ही उन पर कभी सख्ती दिखाता है। नतीजा है कि वाहन मालिकों की मनमर्जी चलती है और सड़क मार्ग से यातायात करने वाले यात्री आर्थिक क्षति उठाने को विवश रहते हैं। यहां दिलचस्प है कि सुपौल स्थित बस पड़ाव में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए न तो कहीं किराया तालिका टंगी है और न ही प्रशासन ही कभी इस ओर पहल करता दिखा है। विडंबना है कि आज के समय में भी गाड़ी मालिक ही मनमाना भाड़ा निर्धारित करते हैं और यात्रियों से वसूलते भी हैं। यह तो हुई किराये की बात। दूसरी ओर वाहन मालिक परिवहन के नियमों की खुलेआम अनदेखी भी करते हैं। क्षमता से अधिक वाहन में यात्री को बिठाना या फिर छत पर यात्रियों को बिठाने से उन्हें कोई परहेज नहीं। इतना ही नहीं यात्रियों को कहीं का बोल कर बिठा लिया जाता है और रास्ते में मेल के नाम पर उतार कर दूसरी गाड़ी में चढ़ा दिया जाता है। नतीजा होता है कि उन्हें सीट तक नहीं मिल पाता। फिलहाल यहां के वाहन मालिक जो किराया वसूल रहे हैं वह कहीं से न्याय संगत नहीं। कई बार स्थानीय बस पड़ाव में किराया तालिका लगाने की बात भी उठी। प्रशासन द्वारा इस पर सहमति भी दी गई। बावजूद आज तक बस पड़ाव में किराया तालिका नहीं लटकाया जा सका। नतीजा है कि सड़क मार्ग से यात्रा करने वाले यात्री वाहन मालिकों के मनमर्जी का शिकार हो रहे हैं और प्रशासन को तो जैसे इस सबसे कुछ लेना देना ही नहीं।

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-वसूला जा रहा किराया

-सुपौल से पिपरा 21 किमी की दूरी के लिए 30 रुपया

-सुपौल से सरायगढ़ 26 किमी के लिए 30 रुपया

-सुपौल से सिमराही बाजार 36 किमी के लिए 45 रुपया

-सरायगढ़ से भीमपुर लगभग 40 किमी के लिए 50 रुपया

-सिमराही से प्रतापगंज 11 किमी के लिए 25 रुपया

-प्रतापगंज से भीमपुर 14 किमी के लिए 25 रुपया

-सुपौल से सहरसा 40 किमी के लिए 50 रुपया

-सुपौल से फारबिसगंज 85 किमी के लिए 100 रुपया


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