प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिए जाते हैं अधिकतर मरीज
संवाद सूत्र सरायगढ़ (सुपौल) एक लाख से अधिक आबादी के लिए सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड क्षेत्र में
संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल): एक लाख से अधिक आबादी के लिए सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड क्षेत्र में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डाक्टरों और कर्मियों की कमी से खुद बीमार बना हुआ है। हालात यह है कि अस्पताल में आने वाले अधिकतर मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद सुपौल सहित अन्य जगहों के लिए रेफर कर दिया जाता है। ईस्ट-वेस्ट कारिडोर के बगल भपटियाही बाजार से सटे पश्चिम अवस्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एक ही भवन में चलता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वीकृति होने के बाद उसका भवन बनाया गया और फिर उसमें दोनों अस्पताल को साथ-साथ चलाया जा रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन में फिलहाल प्रसव कक्ष चलाया जाता है।
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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हैं 4 डॉक्टर
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चार डाक्टर की नियुक्ति है 6 पद खाली हैं। वहां ड्रेसर तथा कंपाउंडर नहीं है। फोर्थ ग्रेड का स्टाफ भी अस्पताल में अब तक नहीं दिया गया है। जो दो कर्मी नियुक्त हैं उनसे अस्पताल व्यवस्था चलाना संभव नहीं होता है। विशेषज्ञ डाक्टर के नहीं होने से मरीजों का सही इलाज नहीं होता है और इस कारण व्यवस्था में उसे दूसरे जगह के लिए रेफर कर दिया जाता है।
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पीएचसी का भी है बुरा हाल
पीएचसी में आठ डाक्टर की जगह मात्र दो नियुक्त हैं। महिला चिकित्सक के नहीं होने से महिला मरीजों को परेशानी होती है। यहां एएनएम के भरोसे प्रसव पीड़ित महिलाओं का इलाज होता है और ऐसे में जच्चा और बच्चा की जान खतरे में रहती है। टेक्नीशियन के नहीं होने से एक्स-रे मशीन का उपयोग नहीं हो पा रहा है। एक्स-रे के लिए मरीजों को सुपौल सिमराही सहित अन्य जगहों पर जाना पड़ता है। दांत की बीमारी के लिए उपकरण हैं लेकिन डाक्टर या टेक्नीशियन नहीं रहने के कारण इसका उपयोग नहीं हो पाता है और ऐसे मरीजों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है। इससे मरीज परेशान रहते हैं। उपलब्ध रहती है दवा अस्पताल में सभी आवश्यक दवा उपलब्ध रहती है। प्रसव कक्ष में आक्सीजन की भी व्यवस्था है। कोरोना संक्रमण के बाद आक्सीजन उपलब्ध रहने से मरीजों को काफी राहत मिली है।
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कहते हैं प्रभारी चिकित्सक
प्रभारी चिकित्सक डा. रामनिवास प्रसाद ने बताया कि विशेषज्ञ डाक्टर की कमी से कठिनाई होती है। अस्पताल में महिला चिकित्सक का होना बहुत जरूरी है। सृजित पद के अनुरूप नियुक्ति नहीं है।