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रात के बारह बजते ही हैप्पी न्यू ईयर से गूंज उठा शहर

कुछ तो कोसी का कोप और कुछ नीति नियंताओं के कारण जिले की आधी से अधिक आबादी गरीब है। मतलब सरकार ने जो गरीबी को मापने के लिए रेखा खींची है उससे नीचे जीवन बसर करती है यहां की साढ़े बारह लाख की आबादी। नतीजा है कि रोजगार की तलाश में मजदूरों का पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। उद्योग-धंधे के नाम पर यहां ऐसा कुछ नहीं नहीं है जो परदेस जाते कदमों को थाम सके।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jan 2020 06:55 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jan 2020 06:16 AM (IST)
रात के बारह बजते ही हैप्पी न्यू ईयर से गूंज उठा शहर
रात के बारह बजते ही हैप्पी न्यू ईयर से गूंज उठा शहर

-घड़ी की सुईयों ने किया रात 12 बजने का एलान, छूटने लगे पटाखे

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-घनघनाने लगे मोबाइल के रिग टोन, आने लगे बधाई संदेश

जागरण संवाददाता, सुपौल : मंगलवार की रात घड़ी की तीनों सुई जैसे 12 के अंक पर एक हुई पूरा शहर पटाखे की आवाज से नववर्ष का स्वागत करने के लिए उतावला हो उठा। हैप्पी न्यू ईयर की आवाज से शहर गूंज उठा। मोबाइल के रिग टोन घनघनाने लगे और तरह-तरह के बधाई संदेश लोगों की मोबाइल पर आने लगे। खासकर युवा वर्ग रात भर जगकर बधाई संदेश भेजकर न्यू ईयर विश करने में लगे रहे। सुबह किसी ने मंदिर जाकर नववर्ष की शुरुआत की तो किसी ने पिकनिक से किया नववर्ष के पहले दिन का आगाज।

नववर्ष को लेकर युवाओं में खासा उत्साह रहता है। इस साल यह उत्साह कुछ बढ़कर ही दिखा। अन्य वर्ष मध्यरात्रि पटाखे छूटने की वैसी आवाजें नहीं आती थी जैसा इस वर्ष सुनने को मिला। घंटो आतिशबाजी का सिलसिला जारी रहा। कुछ जगहों पर युवाओं की टोली रात में भी सड़कों पर नववर्ष का जश्न मनाने निकले। सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर अधिकांश लोगों ने मंदिरों का रुख किया। लिहाजा जिले के प्रसिद्ध तिल्हेश्वर स्थान सुखपुर, कपलेश्वर स्थान बरुआरी, भीमशंकर महादेव मंदिर धरहरा, गणपतगंज, वन दुर्गा मंदिर हरदी दुर्गा स्थान, बरदराज पेरुमल मंदिर गणपतगंज आदि मंदिरों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने पूजा-पाठ कर भगवान से आशीर्वाद लेकर नववर्ष के पहले दिन की शुरुआत की। युवाओं की टोली नववर्ष मनाने के लिए कोसी बराज पर भी गए जहां उन्होंने पिकनिक मनाया। इधर नववर्ष को लेकर शहर की मिठाई दुकानों पर भी लोगों की भीड़ लगी रही। लोग पूजा के लिए प्रसाद के अलावा दुकानों में भी जमकर मिठाई का आनंद लिया। बच्चे भी नववर्ष को मनाने में पीछे नहीं रहे। जगह-जगह बच्चों द्वारा वनभोज का आयोजन किया गया। बच्चे खुद से खाना तैयार कर एक साथ बैठकर खाना खाया।


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