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उम्मीदें::::जनसंख्या नियोजन:::::असंगठित क्षेत्रों के माध्यम से सरकार उपलब्ध करा रही नियोजन के अवसर

कुछ तो कोसी का कोप और कुछ नीति नियंताओं के कारण जिले की आधी से अधिक आबादी गरीब है। मतलब सरकार ने जो गरीबी को मापने के लिए रेखा खींची है उससे नीचे जीवन बसर करती है यहां की साढ़े बारह लाख की आबादी। नतीजा है कि रोजगार की तलाश में मजदूरों का पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। उद्योग-धंधे के नाम पर यहां ऐसा कुछ नहीं नहीं है जो परदेस जाते कदमों को थाम सके।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jan 2020 06:33 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jan 2020 06:16 AM (IST)
उम्मीदें::::जनसंख्या नियोजन:::::असंगठित क्षेत्रों के माध्यम से सरकार उपलब्ध करा रही नियोजन के अवसर
उम्मीदें::::जनसंख्या नियोजन:::::असंगठित क्षेत्रों के माध्यम से सरकार उपलब्ध करा रही नियोजन के अवसर

मिथिलेश कुमार, सुपौल: बेकारी और बेरोजगारी विकासशील देश के लिए एक सबसे बड़ी समस्या रही है। अपना देश भारत भी इससे अछूता नहीं। 130 करोड़ जनसंख्या वाले भारत देश में हर किसी को सरकारी नौकरी उपलब्ध कराना संभव नहीं। नतीजा है कि सरकार निजी क्षेत्रों के माध्यम से भी लोगों को नियोजन के अवसर उपलब्ध कराने की पहल चलाती आ रही है। इसके अलावा विभिन्न प्रशिक्षण व कार्यक्रमों के माध्यम से भी लोगों को स्वरोजगारी बनाने की पहल चल रही है। जल-जीवन-हरियाली योजना को भी मनरेगा से जोड़ा गया है और पौधरोपण, तालाब निर्माण एवं तालाब जीर्णोद्धार के माध्यम से लोगों को रोजगार मुहैया करवाया जा रहा है। इससे इतर नियोजन को लेकर जीविका, जिला नियोजनालय, आर्थिक हल युवाओं को बल, नाबार्ड आदि के माध्यम से भी लोगों को नियोजन के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं और उन्हें आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाने में भूमिका निभाई जा रही है। सरकारी प्रयास और विभिन्न माध्यमों से नियोजन को ले अगर यही सजगता रही तो लोगों के लिए आर्थिक उन्नति के माध्यम खुलेंगे और वे आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनेंगे।

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महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में जीविका बढ़ चढ़ कर निभा रही भूमिका

आज जब समाज में पुरूष प्रधान समाज की वर्जना टूट चुकी है, महिलाओं को भी बराबरी का अधिकार दिया गया है तो फिर महिलाएं पीछे क्यों रहे। जीविका नामक संस्था महिलाओं को स्वरोजगारी व आत्म निर्भर बनाने में बढ़ चढ़ कर भूमिका निभा रही है और जिले में महिलाओं का परचम दिख रहा है। जीविका के माध्यम से सुपौल जिले में अब तक 22 हजार 08 सौ 60 समूह बना कर 02 लाख 61 हजार 07 सौ 80 से अधिक महिलाओं को इससे जोड़ा गया है। 17 हजार 02 सौ 90 समूहों का बैंक में खाता खुलवाया गया है, 14 हजार 20 समूह को बैंकों से ऋण मुहैया कराया गया है। 09 हजार 08 सौ 05 महिलाएं बैंकों से ऋण प्राप्त कर विभिन्न व्यवसाय व उद्यम से जुड़ी हुई हैं। समूह के माध्यम से महिलाएं विभिन्न तरह के उत्पादक कार्यो में भूमिका तो निभा ही रही हैं। साथ ही साथ हस्तकरघा उद्योग को बढ़ावा देने में सहायक बन रही हैं। अब बसंतपुर प्रखंड को ही देख लीजिए। यहां समूह की महिलाओं को अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है और वे इस उद्योग से जुड़ी हुई हैं। राघोपुर प्रखंड में केबीके के माध्यम से समूह से जुड़ी महिलाओं को जूट पर आधारित हस्तकरघा उद्योग को ले प्रशिक्षित किया गया है। इन महिलाओं के माध्यम से अब जूट से तरह-तरह के सामान बनाये जाएंगे।

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स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से लाभान्वित हुए 3 हजार 724 छात्र-छात्रा

मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना के तहत सुपौल जिले में 2 अक्टूबर 2016 से शुरू किया गया आर्थिक हल-युवाओं को बल योजना अंतर्गत स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के मामले में भी जिला निबंधन सह परामर्श केंद्र की भूमिका सराहनीय है। जिले में अब तक कुल 3 हजार 724 छात्र-छात्राओं ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन दिया है। इसमें से 3 हजार 14 छात्र-छात्राओं को अब तक इस योजना से लाभान्वित किया जा चुका है। वित्तीय वर्ष 2019-2020 में इस योजना के तहत 1858 छात्र-छात्राओं को स्टूडेंट क्रेडिट योजना का लाभ दिया गया है।

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8 हजार युवक-युवतियों को नियोजनालय के माध्यम मिला नियोजन

नियोजन को लेकर जिला नियोजनायल भी बढ़ चढ़ कर भूमिका निभा रहा हे। संगठित क्षेत्र में नियोजन के सिकुड़ते अवसर के बीच सरकार ने असंगठित क्षेत्रों का रूख किया है और सरकार आपके द्वार नीति के तहत ग्रामीण युवाओं को नियोजनालय के माध्यम से नियोजन के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। नियोजन सह मार्गदर्शन मेला के माध्यम से जिले में अब तक 8 हजार से अधिक युवक एवं युवतियों को नियोजन के अवसर प्रदान किए गए हैं। वहीं औद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थान भी नियोजन को लेकर आगे आया है। प्लेस मेंट के माध्यम से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान द्वारा भी नियोजन के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान सुपौल द्वारा अब तक प्लेस मेंट के माध्यम से 72 प्रतिभागियों को नियोजन का अवसर प्रदान किया गया है।

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स्वरोजगारी बनाने कर दिशा में नाबार्ड भी निभा रहा भूमिका

नाबार्ड भी लोगों को स्वरोजगारी बनाने की दिशा में भूमिका निभा रहा है। डेयरी उद्यमिता, पशुपालन आदि को लेकर नाबार्ड को लेकर समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर किसानों व पशुपालकों को प्रोत्साहित करता चला आ रहा है। इधर नाबार्ड ने जिले के किशनपुर स्थित राजपुर गांव में 108 लोगों को जूट से रस्सी व अन्य जूट उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया है। प्रशिक्षण प्राप्त कर ये लोग जूट उत्पाद बना कर अपनी आर्थिक उन्नति कर रहे हैं। कृषि विभाग भी विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को आत्म निर्भर बनाने की दिशा में पहल को अंजाम दे रहा है।


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