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जागरण विशेष::::::::::योजनाओं की भरमार फिर भी किसान लाचार

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का 61 वां प्रांतीय अधिवेशन मुजफ्फरपुर में आयोजित किया गया। अधिवेशन में अभाविप कार्यकर्ताओं को नई जिम्मेदारी सौंपी गई। एसएफडी के जिला प्रमुख रहे राहुल कुमार को अभाविप का जिला संयोजक बनाया गया। शिवजी कुमार को सुपौल एवं मधेपुरा का विभाग संयोजक तथा भवेश झा को बीएन मंडल विश्वविद्यालय का संयोजक बनाया गया। वहीं जिला प्रमुख की कमान उमेश कुमार गुप्ता को दी गई। प्रदेश कार्यकारिणी में प्रो. रामकुमार कर्ण शंकर कुमार सोनू कुमार मयंक वर्मा आशीष कुमार नवीन कुमार प्रो. धीरेंद्र देव पिटू कुमार नरेश कुमार मिथिलेश कुमार त्रिलोक कुमार एवं पन्ना धनराज को जगह दी गई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 06:31 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2020 06:10 AM (IST)
जागरण विशेष::::::::::योजनाओं की भरमार फिर भी किसान लाचार
जागरण विशेष::::::::::योजनाओं की भरमार फिर भी किसान लाचार

-खाते में ही पड़ी रह गई बीज ग्राम व पौध संरक्षण जैविक खेती की राशि

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सुनील कुमार, सुपौल : बेशक सरकार कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए योजना के साथ-साथ राशि भी आवंटित कर रही है। कृषि उद्योग का रूप ले इसके लिए कृषि रोड मैप तैयार किया गया है। जिसके तहत मौसम व जलवायु के अनुसार होने वाली खेती की बेहतर उपज के साथ-साथ उसकी रखवाली तक की भी व्यवस्था की गई है। इतना ही नहीं बेहतर फसल हो इसके लिए प्रशिक्षण से लेकर अनुदान राशि के अलावा कर्मियों की फौज तक बनाई गई है। इतने के बावजूद जिले में कृषि कार्यो को जो उड़ान मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिल सकी है। या यूं कहें कि योजनाओं की भरमार रहते किसान आज भी लाचार हैं। हालांकि हाल के दिनों में मशरूम, बटेर, बेमौसम फल व सब्जी, मेंथा, स्ट्राबेरी और रेशम ने उम्मीद जगाई है। किसानों ने इसका रिकार्ड उत्पादन किया है। सरकार और जीविका के माध्यम से किसानों को इस खेती में मदद दी जा रही है।

जिले में कृषि योजनाओं के लिए राशि की कमी नहीं है लेकिन किसान व विभाग की उदासीनता के कारण योजनाएं सरजमीन पर नहीं उतर पा रही है। अगर वित्तीय वर्ष 2019-20 की ही बात करें तो कृषि के लिए कई ऐसी योजनाएं हैं जिसमें विभाग काफी पीछे चल रहा है। कुछ योजना तो ऐसी है जिसमें राशि को छुआ तक भी नहीं गया है। उदाहरण के तौर पर बीज ग्राम के लिए सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में लगभग सोलह लाख की राशि आवंटित की थी लेकिन योजना का हश्र देखिए कि इस मद में एक पैसे की निकासी नहीं की गई। इसी तरह पौध संरक्षण जैविक खेती के लिए लगभग पांच लाख की राशि खाते में ही पड़ी है।

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मेंथा और मशरूम ने जगाई उम्मीद

जिले के त्रिवेणीगंज, छातापुर, बसंतपुर, पिपरा प्रखंड में मशरूम की खेती व्यापक पैमाने पर हो रही है। पिछले साल यहां के किसान मशरूम उत्पादन में राज्य में अव्वल रहे। इस साल भी किसानों ने अपनी उपलब्धि हासिल की। इस खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बिक्री की परेशानी नहीं हो इसके लिए मशरूम को विद्यालयों के मध्याह्न भोजन योजना के मेनू में शामिल किए जाने की योजना भी की गई। इसी तरह मलवरी परियोजना में जिले का चयन किया गया है। जीविका की महिला किसानों ने रेशम उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस वर्ष यहां के किसान रिकार्ड 70 क्विटल कोकून का उत्पादन किया। किसानों ने इस बार 25,700 डीएफएल मंगाए हैं जो राज्य में सर्वाधिक है। किसानों के रूझान को देखते हुए सरकार द्वारा जिले में रेशम धागा इकाई परियोजना लगाने की मंजूरी प्रदान की गई है। यह निश्चय ही किसानों को मलवरी खेती की ओर आकर्षित करेगा।

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कहते हैं किसान

योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ प्राप्त नहीं होने के पीछे विभाग के साथ-साथ किसान भी दोषी हैं। आज भी यहां के किसान परंपरागत खेती से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। किसानों को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है। तब ही यहां के किसानों की उन्नति हो सकती है। पिछले वर्ष जब वे रेशम कीट पालने की योजना बनाए थे तो कई किसान उनका मजाक बना रहे थे। आज यह योजना उनके जीविका का मुख्य साधन बना हुआ है। हालांकि अब धीरे-धीरे अन्य किसान भी इससे जुड़ने लगे हैं।

भोला मंडल

प्रगतिशील किसान, किशनपुर प्रखंड

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सरकार तो योजना चलाती है लेकिन कहीं न कहीं विभागीय उदासीनता के कारण इस योजना का लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पाता है। कई योजना के बारे में तो किसान समझ भी नहीं पाते हैं और वित्तीय वर्ष समाप्त हो जाता है। खासकर सरकार की व्यवस्था भी योजना के प्रगति में बाधक बन जाती है। 50 रुपये के अनुदान के लिए भी लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है और किसान इस पेंच में फंसने के बजाए सरकारी योजना से दूर भाग जाते हैं।

ज्योतिष भुसकुलिया

प्रगतिशील किसान, प्रतापगंज प्रखंड

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- 2019-20 में विभाग द्वारा संचालित योजनाएं

-योजना का नाम----------आवंटित राशि---------------खर्च की गई राशि

-सामुदायिक नर्सरी--------19 लाख 29 हजार 4 सौ रुपया----14 लाख 33 हजार 840

-टॉल दियारा योजना-----------0------------------------0

-बीज ग्राम-------------------0------------------------0

-मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना-0-----------------------0

-आरकेभीवाई-------------------अप्राप्त-------------------अप्राप्त

-ई. किसान भवन---------------15 लाख 66 हजार 144 रुपया-----1 लाख 88 हजार 80

-मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार--1 करोड़ 62 लाख 81 हजार-----22 लाख

-सामुदायिक नर्सरी-----------19 लाख 29 हजार-------------19 लाख 5 हजार 56 रुपये

-अन्न भंडारण--------------5 लाख 29 हजार 364------------0

-दियारा विकास योजना-------39 लाख 5 हजार----------------3 लाख

-जीरो टीलेज राज्य योजना-----49 लाख 500-----------------38 लाख

-जैविक खेती----------------1 करोड़ 43 लाख 83 हजार 8 सौ---50 लाख

-राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-----52 लाख 56 हजार 100------------40 लाख

-राष्ट्रीय कृषि विकास योजना----85 लाख 89 हजार----------------80 लाख

-फसल सुरक्षा कार्यक्रम---------2 लाख 71 हजार 8 सौ------------90 हजार

-जैविक खेती, पौधा संरक्षण------4 लाख 97 हजार-----------------0

-मिट्टी जांच------------------13 लाख 97 हजार--------------6 ल


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