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दुर्गापुर में आयोजित रामकथा में बह रही आध्यात्म की त्रिवेणी

प्रखंड क्षेत्र के दुर्गापुर गांव के पास दुर्गा मंदिर के प्रांगण में राम कथा सह ज्ञान यज्ञ में अध्यात्म की त्रिवेणी बह रही है। यहां दूर-दूर से आए अध्यात्म अनुरागियो की जिज्ञासा शांत हो रही है। ऋषिकेश से पधारे संत की अमृतवाणी सुनने को लेकर पांडाल में कथा प्रेमियों की कतारें देखी जा सकती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 05:23 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 05:23 PM (IST)
दुर्गापुर में आयोजित रामकथा में बह रही आध्यात्म की त्रिवेणी
दुर्गापुर में आयोजित रामकथा में बह रही आध्यात्म की त्रिवेणी

संवाद सूत्र, राघोपुर(सुपौल): प्रखंड क्षेत्र के दुर्गापुर गांव के पास दुर्गा मंदिर के प्रांगण में राम कथा सह ज्ञान यज्ञ में अध्यात्म की त्रिवेणी बह रही है। यहां दूर-दूर से आए अध्यात्म अनुरागियो की जिज्ञासा शांत हो रही है। ऋषिकेश से पधारे संत की अमृतवाणी सुनने को लेकर पांडाल में कथा प्रेमियों की कतारें देखी जा सकती है। ऋषिकेश से पधारे ब्रह्मचारी संत गोविद दास जी महाराज ने राम कथा पर चर्चा करते हुए कहा कि एकाग्र चित्त होकर राम कथा के श्रवण मात्र से मानव जीवन में आने वाले क्रमश: दैहिक, दैविक एवं भौतिक तीनों ताप का स्वत: नाश हो जाता है। कहा कि माता पिता भगवान के रूप हैं। अत: सभी को अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए। उस सेवा में यदि निष्काम आ जाए तो सेवा पूजा हो जाती है। माता-पिता की सेवा हमें भगवान के नजदीक पहुंचा देती है। महाराष्ट्र के संत ने पुंडारीक का ²ष्टांत सुनाते हुए कहा कि माता-पिता की सेवा के ही कारण संत पुढारी को भगवान विट्ठल का दर्शन हुआ। भागवत प्राप्ति का सबसे सरल उपाय है। व्याकुलता पूर्वक ह्रदय से हे नाथ, हे मेरे नाथ पुकारो यह नाम जप आदि संसाधनों से तेज है। इसे पापी, पुण्यात्मा, मूर्ख, विद्वान आदि सभी कर सकते हैं। ज्ञान योग, कर्म योग, भक्ति योग आदि कोई उपाय समझ में ना आए तो कोई जरूरत नहीं आप ही नाथ हे मेरे नाथ पुकारो मंत्रों में अनुष्ठानों में इतनी शक्ति नहीं है जितनी शक्ति प्रार्थना में है। अत: हे नाथ, हे नाथ पुकारते रहो। हे नाथ से सब बीमारी, आफत, शंका मिट जाएगी। यह सब रोगों की रामबाण दवा है। कथा प्रेमी अन्य जीवंत प्रस्तुति से भाव विभोर हो रहे थे। वहीं बीच-बीच में भजन-संकीर्तन एवं श्लोकों का उच्चारण प्रवचन पंडाल में आध्यात्मिक रस घोल रहा था। कार्यक्रम को सफल बनाने में महंथ नारायण दास के अलावा ग्रामीण लगे थे।

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