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शिक्षा का अधिकार नहीं हो रहा साकार, आदेश की सरेआम उड़ती धज्जियां

जिले के किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने को लेकर कृषि विभाग गंभीर बना हुआ है। इसकी रोकथाम को लेकर विभाग ने एक ऐप तैयार किया है। जिस ऐप के माध्यम से खेतों की निगरानी की जाएगी तथा खेतों में पराली जलाने वाले किसानों को चिन्हित कर उन्हें कृषि से संबंधित सभी योजनाओं से एक साल के लिए वंचित रखा जाएगा। जानकारी देते हुए जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार झा ने बताया कि खेतों में अवशेष जलाए जाने से न सिर्फ खेत की उर्वराशक्ति समाप्त होती है। बल्कि इसका कुप्रभाव वातावरण पर भी पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 05:36 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 05:36 PM (IST)
शिक्षा का अधिकार नहीं हो रहा साकार, आदेश की सरेआम उड़ती धज्जियां
शिक्षा का अधिकार नहीं हो रहा साकार, आदेश की सरेआम उड़ती धज्जियां

संवाद सहयोग, निर्मली(सुपौल): बीते 12 वर्षों में 05 से 14 साल तक के सभी बच्चों को स्कूल में नामांकन की कवायद पूरी की गई है। कितु नामांकित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है। यह नहीं कह सकते हैं कि सरकार इस दिशा में काम नहीं कर रही है। सरकारी स्कूलों में नामांकित सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले यह सरकार की पुरजोर कोशिश है। बावजूद विभागीय अधिकारी की उदासीनता एवं विद्यालय के प्रधान शिक्षक के मनमानी पूर्ण रवैया के कारण सरकारी स्कूलों में नामांकित एवं पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात दूर की कौड़ी साबित हो रही है। स्कूलों में बच्चों के कल्याणकारी योजना मिड-डे मील में वित्तीय अनियमितता की ढेर सारी शिकायतें आ रही हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति की जानी होगी जिनका निर्णय सिर्फ सरकारी आदेश को अमलीजामा पहनाना हो एवं स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे एवं पढ़ाने वाले शिक्षकों के प्रति जवाबदेह हो। शत-प्रतिशत बच्चों को विद्यालय से जोड़ने के लिए जगह-जगह उत्क्रमित, प्राथमिक विद्यालय खोले गए। विद्यालयों में नामांकित बच्चों को उपस्थिति के हिसाब से छात्रवृत्ति, पोशाक, साइकिल योजनाओं के साथ-साथ बच्चों को विद्यालय में दोपहर का भोजन का लाभ दिया गया। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए बच्चे विद्यालय आने लगे। लेकिन सिस्टम अपनी सारी व्यवस्था बना ली और योजनाएं जगह लगती रही।

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बीत गए दशक नहीं हो सका विद्यालय को अपनी जमीन

प्रखंड क्षेत्र में दर्जनभर ऐसे विद्यालय हैं जिनके पास अपनी भूमि नहीं है। भूमि नहीं रहने से विद्यालयों को सरकार द्वारा भवन बनाने के लिए मिलने वाली राशि से वंचित होना पड़ रहा है। हालांकि सरकार एवं विद्यालय प्रधान के द्वारा विद्यालय को जमीन उपलब्ध कराने के लिए काफी कोशिश की गई। कितु एक दशक बीत जाने के बाद भी विद्यालय को जमीन उपलब्ध कराने में सरकार एवं विद्यालय प्रधान कामयाब नहीं हो पाए। ऐसे विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बहाल करने के लिए शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने भूमिहीन विद्यालयों को नजदीकी सरकारी भवनयुक्त विद्यालय में मर्ज तथा ऐसे विद्यालय जिनके पास भूमि है। कितु भवन नहीं बन सका है। ऐसे विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बहाल करने के लिए नजदीकी सरकारी भवन युक्त विद्यालय में शिफ्ट कराने का फरमान जिला शिक्षा पदाधिकारी को दिया है। बावजूद विद्यालय का शिफ्ट एवं मर्ज निर्मली प्रखंड के ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में आज तक नहीं हो पाया है।


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