समाज को आदर्श बनाने में नैतिक आचरण पर ध्यान देने की है आवश्यकता
जिले के किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने को लेकर कृषि विभाग गंभीर बना हुआ है। इसकी रोकथाम को लेकर विभाग ने एक ऐप तैयार किया है। जिस ऐप के माध्यम से खेतों की निगरानी की जाएगी तथा खेतों में पराली जलाने वाले किसानों को चिन्हित कर उन्हें कृषि से संबंधित सभी योजनाओं से एक साल के लिए वंचित रखा जाएगा। जानकारी देते हुए जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार झा ने बताया कि खेतों में अवशेष जलाए जाने से न सिर्फ खेत की उर्वराशक्ति समाप्त होती है। बल्कि इसका कुप्रभाव वातावरण पर भी पड़ता है।
संवाद सूत्र, राघोपुर(सुपौल): इस आधुनिक दुनिया में हम अपनी जिदगी से इतनी दूर निकल आए हैं कि हम अपने मन की शांति और शक्ति को भूल गए हैं। फिर जब हमारी जड़े कमजोर होने लगती है तो हम इधर-उधर के आकर्षणों में फंसने लग जाते हैं और यहीं से हम तनाव महसूस करने लग जाते हैं। आहिस्ते-आहिस्ते ये तनाव हमारी मानसिक भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य को असंतुलित कर हमें बीमार कर सकता है। उक्त बातें प्रखंड क्षेत्र के लखीचंद साहु उच्च माध्यमिक विद्यालय एवं द परफेक्ट इंग्लिश एकेडमी सिमराही बाजार में अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू से पधारे राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने स्कूल के छात्र-छात्राओं को मेडिटेशन महत्व पर आयोजित कार्यक्रम पर शनिवार की शाम कही। वहीं समाज में शिक्षकों को शिल्पीकार का दर्जा दिया। कहा कि समाज को सुधारने के लिए आदर्श शिक्षकों की आवश्यकता है। अगर भावी समाज को आदर्श बनाना चाहते हों तो छात्राओं को भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक आचरण पर भी उनके ऊपर ध्यान देने की आवश्यकता है। आज बिगड़ती परिस्थिति को देखते हुए समाज को सुधारने की बहुत आवश्यकता है। कहा कि शिक्षक वही हैं जो अपने जीवन के धारणाओं से दूसरों को शिक्षा देते हैं। धारणाओं से विद्यार्थियों में बल भरता है, जीवन की धारणाओं से वाणी, कर्म, व्यवहार और व्यक्तित्व में निखार आती है। यदि शिक्षा के बाद भी बच्चे बिगड़ रहे हैं उसका मतलब मूर्तिकार में भी कुछ कमी है। शिक्षक के अंदर जो संस्कार हैं उनका विद्यार्थी अनुकरण करते हैं। शिक्षकों को केवल पाठ पढ़ाने वाला शिक्षक नहीं, बल्कि सारे समाज को स्वस्थ मार्गदर्शन देने वाला शिक्षक बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक होने के नाते हमारे अंदर सद्गुण होना आवश्यक है। शिक्षा में भौतिक सुधार तो है लेकिन नैतिकता का ह्रास होता जा रहा है। अपने जीवन की भावनाओं के आधार से नैतिक पाठ भी अवश्य पढ़ाएं। कहा कि शिक्षकों के हाव-भाव, उठना, बोलना, चलना, व्यवहार करना इन बातों का असर भी बच्चों के जीवन में पड़ता है। समाज को सुधारने की अहम भूमिका शिक्षकों की है। प्राचीन भारत में स्वामी विवेकानंद महात्मा गांधी जैसे महापुरुष समाज में शिक्षक के रूप में थे। फिर से हमें विद्यार्थियों को नैतिकता का पाठ पढ़ा कर उन्हें गुणवान चरित्रवान दिव्य संस्कारवान बनाने की आवश्यकता है। आदर्श शिक्षक आदर्श समाज का निर्माण कर सकता है। अध्ययन से ही अज्ञानता दूर होती है। सीखने और सिखाने की कोई उम्र नहीं होती। उन्होंने कहा कि जीवन के सद्गुणों के विकास हेतु सीखने की आदत डालें। वहीं केंद्र के प्रभारी राजयोगिनी रंजू दीदी एवं ममता दीदी ने कहा कि एक दीपक से पूरा कमरा प्रकाशमय होता है, तो क्या पूरे जिले को मूल्य निष्ट शिक्षा से प्रकाशित हम सब मिलकर नहीं कर सकते हैं। अब आवश्यकता है सेवा भाव की। उन्होंने मौजूद शिक्षक, छात्र-छात्राओं को कहा कि आचरण पर ध्यान देने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ तनाव मुक्त रहने की भी आवश्यकता है। जिसके लिए नित्य सुबह शाम मेडिटेशन का अभ्यास करें। मौके पर सुनील कुमार नायक, अरुण यादव, जयप्रकाश यादव, अजय चौधरी, शंकर सेन, दीपक गुप्ता, बैद्यनाथ प्रसाद भगत, नगीना भगत, किशोर भाई सहित शिक्षकगण एवं छात्र-छात्रा मौजूद थे।