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दीपावली की तैयारी शुरू, दीप बनाने में जुटे कुंभकार

विश्वविद्यालय में खेल का माहौल बना है और हमारी राष्ट्रीय पहचान बन रही है। उक्त बातें प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली ने कही। वे अनूप लाल यादव महाविद्यालय में आयोजित पुरुष-महिला कुश्ती प्रतियोगिता के उद्घाटन पश्चात बोल रहे थे। प्रति कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय खेल के प्रति सजग है। खेल से भाईचारा बढ़ता है। बीएनएमयू के विद्यार्थियों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 07:17 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 06:11 AM (IST)
दीपावली की तैयारी शुरू, दीप बनाने में जुटे कुंभकार
दीपावली की तैयारी शुरू, दीप बनाने में जुटे कुंभकार

संवाद सूत्र, लौकहा बाजार(सुपौल): सदर प्रखंड क्षेत्र में दीपावली की तैयारी अब जोर पकड़ने लगी है। लोग अपने-अपने घरों व दुकानों की साफ-सफाई में जुट गए हैं। दीपावली को लेकर बाजारों में विभिन्न सामग्रियों की दुकानें सजने लगी है। वहीं दीपावली को लेकर कुंभकारों द्वारा दीप बनाने का कार्य भी जोरों पर है। दीप बनाने में पूरा परिवार दिन-रात मेहनत करते नजर आ रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में दीपावली को लेकर मिट्टी के दीप, दीपक एवं खिलौने बनाने का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य से जुड़े अमहा पंचायत के वार्ड नंबर चार स्थित अभेली पंडित ने बताया मिट्टी के बर्तन में मेहनत व लागत बहुत लगती है। लोगों को आज के समय में म्टिटी से बने बर्तन व दीये बहुत महंगे लगते हैं। लोग उन्हें उनके द्वारा बनाये गए हस्तकला को नहीं पहचानते, सिर्फ मिट़्टी की सोच कर महंगे सोचते हैं। सरकार को भी इस बारे में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। आज के आधुनिक युग में लोगों की नजर में मिट्टी की दीपक की ज्यादा अहमियत नहीं है। जबकि हिदुओं के रिवाज अनुसार मिटटी के बने बर्तन को पूर्ण तरह से शुद्ध माना जाता है। बताया कि दीपावली आते ही पूरे परिवार के लोगों के सहयोग से दीप, दीपक एवं बच्चे को खेलने के लिए मिट्टी के खिलौने को बनाया जाता है। लोग विधि-विधान के अनुसार कम से कम पांच मिट्टी के दीप घरों में अवश्य जलाते हैं। लोग अब मोमबत्ती व इलक्ट्रोनिक बल्बों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं तथा दीप के जगह इनका प्रयोग कर लेते हैं। जिससे कुम्भकारों के इस पुस्तैनी रोजगार पर गहरा असर पड़ा है। कुंभकारों के अनुसार दीपावली के कारण ही उनका यह पुस्तैनी धंधा अब तक जीवित है।

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