नशे की गिरफ्त में जा रहा बचपन, पुलिस नहीं करती कार्रवाई
थाना क्षेत्र में नशे का सामान खुलेआम स्टेशनरी आदि की दुकानों में बिक रहा है। बच्चे दुकानों से फ्लूड खरीदकर उससे नशा कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि बचपन नशे की गिरफ्त में जकड़ता जा रहा है। लेकिन कोई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज(सुपौल): थाना क्षेत्र में नशे का सामान खुलेआम स्टेशनरी आदि की दुकानों में बिक रहा है। बच्चे दुकानों से फ्लूड खरीदकर उससे नशा कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि बचपन नशे की गिरफ्त में जकड़ता जा रहा है। लेकिन कोई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। पुलिस और सामाजिक संस्थाओं का ध्यान भी इस दिशा में नहीं है। इस दिशा में कोई जागरूकता कार्यक्रम नहीं शुरू हो पाया है। जबकि बच्चों में फ्लूड के नशे की लत बढ़ती जा रही है। वहीं फ्लूड बच्चों के भविष्य को अंधकार में डाल रहा है। स्टेशनरी की दुकानों पर बिकने वाले फ्लूड को बच्चे नशे के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। बच्चे फ्लूड को पॉलीथिन और रुमाल आदि में डालकर सूंघकर नशा करते हैं। नशे की चपेट में आने वाले बच्चों में गरीब परिवारों के बच्चों के साथ-साथ बड़े घरों के बच्चे भी आ रहे हैं। शहर की सड़क, ग्रामीण इलाके के चौक-चौराहे एवं नहर किनारे आसानी से बच्चों पॉलीथिन में फ्लूड डालकर सूंघ कर नशा करते नजर आते हैं। इन बच्चों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। फ्लूड का नशा करने वाले एक बच्चा ने बताया कि उसे फ्लूड किसी स्टेशनरी की दुकान से मिल जाता है। इस फ्लूड को वह पॉलीथीन में डालकर सूंघता है। यदि किसी दिन उसे फ्लूड न मिले तो उसे बेहद बैचेनी हो जाती है। पूरे शरीर में दर्द होने लगता है। इसी तरह से तमाम बच्चे हैं। जो इस नशे को कर रहे हैं। फ्लूड के साथ-साथ साइकिल के दुकानों में पंचर बनाने में इस्तेमाल होने वाले लोशन का इस्तेमाल में भी नशे के रूप में हो रहा है। पुलिस मादक पदार्थ विक्रेताओं के खिलाफ कोई कार्यवाही करती है या नहीं, पुलिस की खामोशी के कारण शहर के बच्चे नशे की जद में है।