नमो देव्यै महादेव्यै:::::राजकीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित बबीता समाज को देना चाहती नई दिशा
आदि शक्ति माता दुर्गा का षष्ठम रूप श्री कात्यायिनी के नाम से जाना जाता है। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदि शक्ति उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म ली थी। इसलिए वे कात्यायिनी कहलाती हैं। नवरात्र के छठे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस बारे में आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि भगवती कात्यायनी की भक्ति व उपासना से साधक को धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन चारों फलों की प्राप्ति होती है।
जागरण संवाददाता, सुपौल: शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए राजकीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित बबीता कोसी के इस सुदूर इलाके में जहां शिक्षा का अलख जगा रही है वहीं नारी सशक्तीकरण के लिए लगातार प्रयासरत है। अपनी ड्यूटी से बचे समय में वह सामाजिक सरोकारों से जुड़ी रहती है। वह समाज को नई दिशा देना चाहती है। बबीता के नाम कई पुरस्कार व कीर्तिमान दर्ज हैं। मध्य विद्यालय सरायगढ़ की शिक्षिका बबीता कुमारी को पांच सितंबर 2019 को मुख्यमंत्री द्वारा श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में 15 हजार का चेक एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। उन्हें राजकीय शिक्षक पुरस्कार 2018 के लिए चयन किया गया था। शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए वह कई बार सम्मानित हो चुकी है। जिला स्थापना दिवस के मौके पर महिला सम्मान 2014 से सूबे के वित्त मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव द्वारा बबीता को सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उसे महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु नि:स्वार्थ असाधारण कार्य के लिए दिया गया। बेस्ट अक्षरदूत से लेकर मौलाना अबुल कलाम आजाद पुरस्कार तक का अब तक सफर तय करने वाली बबीता आज भी शिक्षा का अलख जगा रही है। मध्य विद्यालय सरायगढ़ सुपौल की प्रखंड शिक्षिका बबीता कुमारी शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय व विशिष्ट योगदान के लिए शिक्षा जगत में चर्चा में रहती है। 2009 में मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत निरक्षरों को साक्षर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को ले उसे बेस्ट अक्षरदूत का अवार्ड मिला। 2010 में शिक्षा दिवस के मौके पर तत्कालीन प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह के हाथों वह सम्मानित हुई। बिहार दिवस के अवसर पर 22 मार्च 2011 को उसे सम्मानित किया गया। 29 मार्च 2011 को तारामंडल सभागार में अक्षर बिहार राज्य संसाधन केन्द्र आद्री के संयुक्त साक्षरता मंच के द्वारा तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा अक्षर बिहार की ओर से स्वयंसेवक सम्मान से बबीता को नवाजा गया। वर्ष 2011 में मानव संसाधन विकास विभाग बिहार द्वारा प्रकाशित पुस्तक'सपनों को लगे पंख में बबीता के जीवन की संघर्षगाथा को जीवनी के तौर पर अपवाद शीर्षक देकर सहेजा गया। इस पुस्तक में बबीता ने लेखक की भी भूमिका निभाई। 2012 में शिक्षा विभाग बिहार सरकार द्वारा बिहार के शताब्दी वर्ष पर शतक के साक्षी नामक पुस्तक का विमोचन तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। जिसमें बबीता ने सुपौल के तीन बुजुर्गो की जीवनी को पुस्तक में सहेजा। इस उल्लेखनीय कार्य के लिए उसका नाम बिहार के 20 सर्वश्रेष्ठ लेखकीय टीम में शामिल किया गया। शिक्षा दिवस 2014 पर श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल पटना में आयोजित समारोह में शिक्षा के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान प्रदान करने के लिए बबीता को मौलाना अबुल कलाम आजाद पुरस्कार तत्कालीन शिक्षा मंत्री वृषिण पटेल द्वारा दिया गया। 2016 में राष्ट्रपति के साथ लंच में शामिल हुई बबीता, 2018 में जयपुर में वीमेंस एक्सिलेंस अवार्ड से सम्मानित हुई बबीता। बबीता शिक्षा के क्षेत्र में अधिक गति देते हुए इसे गरीब, दलित, शोषित, पीड़ित व कमजोर वर्गो के उत्थान तक पहुंचाना चाहती है। इसके आलावा वह कृषि विभाग के अन्य कार्यो में शरीक होकर किसानों को प्रोत्साहित करने में भूमिका निभा रही है।