कोसी की बलुआही धरती पर सोना उगा रहे भिखारी मेहता
संवाद सहयोगी वीरपुर (सुपौल) कोसी त्रासदी झेल चुके इस रेगिस्तानी इलाके में पहली बार ड्रेगन
संवाद सहयोगी, वीरपुर (सुपौल): कोसी त्रासदी झेल चुके इस रेगिस्तानी इलाके में पहली बार ड्रेगन फ्रूट, स्ट्राबेरी, वातानुकूलित नेट पॉली हाउस खेती, सीड लेस खीरा और बैगन सहित पारंपरिक बांस के करची से विकसित किये गए पांच प्रजाति की बांस के पौधे की व्यापक खेती की शुरुआत कुसहा-त्रासदी के रेगिस्तानी खेतों में व्यापक पैमाने में की गई है। जबकि सैकड़ों किस्म के आम, लीची, नींबू, अमरूद, कटहल, मौसमी एवं जमरूद जैसे फलदार पौधे की नर्सरी लगाकर किसान आज समृद्धि का मुकाम हासिल कर सकता है। दशकों से किसानी और नए-नए किस्म की खेती का अनुसंधान, वर्मी कंपोस्ट जैविक खाद के सबसे बड़े उत्पादक किसान भूषण भिखारी मेहता ने कुसहा-त्रासदी में रेगिस्तान में तब्दील उपजाऊ जमीन पर इस तरह का प्रयोग करते हुए आधुनिक खेती का मिसाल कायम कर सैकडों किसान को प्रशिक्षित कर उत्थान का रास्ता दिखाया है।
वीरपुर-बसमतिया रोड पर हहिया धार से पूरब रानीपट्टी में लगभग 15 एकड़ रेगिस्तानी जमीन पर इन्होंने चहुंओर नए-नए तरह के आधुनिक खेती का प्रयोग करते हुए हरियाली ही हरियाली कायम कर किसानों के प्रेरणा स्त्रोत बन चुके हैं। भिखारी मेहता दशक पूर्व 5 एकड़ जमीन पट्टा पर लेकर केला और सब्जी की खेती से जिदगी की शुरुआत की। हौसला बढ़ा और कृषि विभाग के सहयोग से कालांतर में औषधीय पौधों की खेती की बढ़ोतरी की। कृषि विभाग के द्वारा दिए जाने वाले अनुदान का लाभ उठाते हुए इन औषधीय पौधों से तेल और अर्क निकलने का प्लांट और तीन हजार मीट्रिक टन क्षमता का वर्मी कंपोस्ट उत्पादन का संयंत्र-पीट लगाया। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन और खरीद पर मिलने वाली अनुदान की राशि सरकार द्वारा बंद कर दिए जाने से यह खेती और जैविक उत्पाद घाटे का सौदा हो गया जिस कारण सब बेकार पड़ चुके हैं। किसानी को लेकर नए आयाम का अनुसंधान और प्रयोग की जिज्ञासा को आगे बढ़ाते हुए पारंपरिक खरीफ-रबी फसल के साथ साथ नए प्रयोग को आजमाने के निश्चय के तहत कोसी के इलाके में पहली बार इन्होंने ड्रेगन फ्रूट एवं नेट हाउस बनाकर वातानुकूलित खेती की शुरुआत नए किस्म की टमाटर की खेती से की है। वन विभाग द्वारा बांस की खेती को बढ़ावा दिए जाने की योजना के तहत इनके द्वारा इस क्षेत्र के ही बांस के करची से पहली वार बांस का पौधा तैयार करने में सफलता हासिल की। जिसके तहत पारंपरिक बांस की पांच किस्मों की ईजाद की है। शायद पहली वार इनके द्वारा सीड लेस बैगन और खीरा की खेती व्यापक रूप से शुरू की गई। कोसी के इस धरती पर फल के रूप में मौसमी और जमरूद जैसे फल की पैदावार करने का श्रेय इन्हें ही मिलेगा।
कुसहा-त्रासदी के रेगिस्तान में तब्दील कृषि भूमि पर पहली बार हरियाली ही हरियाली लाने वाले किसान भूषण के इस फार्म हाउस पर सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास यात्रा के दौरान दो बार आकर जानकारी और जायजा लेकर कृषि विकास में बदलाव के उपाय पर विचार-विमर्श हेतु किसानों से रुबरु भी कर चुके हैं। किसान भूषण ने कहा कि एक तरफ सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात करती है मगर इस पर दी जाने वाली अनुदान की राशि बंद कर दी है। इतने बड़े प्रोजेक्ट को हारकर बंद करना पड़ा क्योंकि ़खरीदार नहीं रहा। जो बड़ी राशि लागत आई वह सारा डूब गया। जो घाटे का सौदा रहा। आखिर ऐसी नीति नियति से किसान और उसके कृषि उत्पाद की सौदेबाजी की जाती रहेगी। कृषि एवं वन विभाग द्वारा किसानों के भ्रमण कार्यक्रम में देश भर में जहां कुछ नया कृषि वानिकी को लेकर दिखता या दिखाया जाता है उसके बारे में जानकारी एकत्रित कर इस आबोहवा के तहत हम नये नये अनुसंधान करते हुए उसको फलीभूत करने का हर संभव प्रयास करते आ रहे हैं, जिसका नतीजा आज सबके सामने है।