लगन व जुनून हो तो मुश्किल समय में भी लोग पढ़ कर निकल जाते हैं आगे
शिक्षा आगे बढ़ने का रास्ता है आपलोग मन लगाकर खूब पढ़े आप सभी के पिछड़ेपन से निकलने का रास्ता यही से खुलेगा। सिर्फ संसाधनों से ही पढ़ाई नहीं होती है। लगन और जुनून है तो मुश्किल समय में भी लोग पढ़ कर आगे बढ़ जाते है। उक्त बातें कोसी जीवनशाला खोखनहा-मरौना में बच्चों के बीच पोशाक व बैग वितरण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि चेतना त्रिपाठी ने कही।
जागरण संवाददाता, सुपौल: शिक्षा आगे बढ़ने का रास्ता है, आपलोग मन लगाकर खूब पढ़े, आप सभी के पिछड़ेपन से निकलने का रास्ता यही से खुलेगा। सिर्फ संसाधनों से ही पढ़ाई नहीं होती है। लगन और जुनून है तो मुश्किल समय में भी लोग पढ़ कर आगे बढ़ जाते है। उक्त बातें कोसी जीवनशाला खोखनहा-मरौना में बच्चों के बीच पोशाक व बैग वितरण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि चेतना त्रिपाठी ने कही। उन्होंने कहा कि मैं बड़े शहर में पली बढ़ी फिर भी देश तो गांवों में बसता है। कोसी तटबंध के बीच के इलाके बहुत पिछड़े है। सुपौल शहर या बाहरी गांवों से कोई तुलना ही नहीं है। इसलिए यहां काम करने की बेहद जरूरत है। इस आयोजन में बोलते हुए पटना से आयी कुमुद रानी ने बच्चियों को आवासीय कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में दाखिल कराने की बात की। विनोद कुमार ने बच्चों को कोशी की परिस्थिति के अनुकूल जीवनशाला में पठन-पाठन की व्यवस्था पर बल दिया। स्थानीय लोगों की तरफ से खट्टर सदा, सन्तोष, भीम सदा, अमलेश, लखन, उमेश ने यहां की शिक्षा व्यवस्था की चौपट हाल, कोशी की समस्याओं को विस्तार से बताया। साथ ही कई लोगों ने यह भी कहा कि तटबंध के बीच जहां नेता वोट मांगने तक आने में हिचकते है। वहीं सुपौल एसपी मनोज कुमार की पत्नी चेतना त्रिपाठी आकर तटबन्ध के बीच रह रहे बच्चों में आशा और प्रेरणा भर कर जा रही है। खोखनहा झमेली मुसहरी और गोठ खोखनहा में दो स्थानों पर संचालित जीवनशाला में पढ़ रहे 180 बच्चे और बच्चियों को पोशाक, बैग, कॉपी पेंसिल आदि दिया गया। इस अवसर पर कोशी नव निर्माण मंच के अध्यक्ष इंद्र नारायण सिंह, हरिनंदन, धर्मेन्द्र, इंद्रजीत, रामचन्द्र और महेन्द्र यादव सहित कई लोग भागीदार रहे। विदित हो कि इन जीवनशालाओं की शुरुआत कोशी नव निर्माण मंच की पहल पर तटबंध के बीच जहां कोई पढ़ने की व्यवस्था नहीं है। वैसे बच्चों के लिए जीवनशालाओं की शुरुआत हुई है। इसका संचालन कई व्यक्ति और मित्र संस्थाओं द्वारा अनियमियत सहयोग एकत्र कर के किया जाता है।