Move to Jagran APP

प्रशासनिक स्तर से सुविधा नहीं दिए जाने से छठ व्रतियों में बढ़ रहा आक्रोश

सुपौल का नाम हमेशा से एक शांत जिले में शुमार रहा है। लेकिन अब हाल के दिनों में जो हालात सामने आ रहे हैं इस हिसाब से यह बिल्कुल ही मिथक साबित हो रहा है। शायद ही कोई दिन गुजर रहा हो जब जिले में कहीं न कहीं से अपराध की वारदात सामने न आती हो। दुष्कर्म सामूहिक दुष्कर्म गोली मार हत्या घर-दुकानों में चोरी छिनतई आदि रोजमर्रे की खबर बन रही है। अक्टूबर महीने ने तो जैसे नया रिकार्ड ही कायम कर लिया। घटना के बाद पुलिस पूरी क्रियाशील नजर आती है अपराधियों की गिरफ्तारी भी होती है

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 05:02 PM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 06:39 AM (IST)
प्रशासनिक स्तर से सुविधा नहीं दिए जाने से छठ व्रतियों में बढ़ रहा आक्रोश
प्रशासनिक स्तर से सुविधा नहीं दिए जाने से छठ व्रतियों में बढ़ रहा आक्रोश

संवाद सूत्र, सरायगढ़(सुपौल): सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड क्षेत्र में छठ पर्व को लेकर प्रशासनिक स्तर से आज तक कोई खास बंदोबस्त नहीं की जाती रही है। कोसी तटबंध के अंदर तथा बाहर बसे यहां के लोग सहरसा शाखा नहर, सुपौल उप शाखा नहर तथा कोसी के कछार पर छठ मनाते हैं। यहां पर बहुत कम ही ऐसी जगह है जहां पोखर छठ मनाने के लायक रहा हो। पोखरों की साफ-सफाई नहीं होने के कारण लोग नहर किनारे तो कहीं गड्ढे के आसपास इस महत्वपूर्ण पर्व को मनाते हैं। इस मौसम में कोसी नदी की धारा तटबंध से काफी दूर मध्य में चली जाती है जिस कारण छठ व्रतियों को 03 से 04 किलोमीटर तक पैदल दूरी तय कर घाटों तक जाना पड़ता है। कहीं-कहीं तो 08 से 10 किलोमीटर पैदल चलकर छठ व्रती घाटों तक पहुंचती है जो काफी कष्टकर हुआ करता है। इस प्रखंड के बीच से होकर दो नहर गुजरती है लेकिन दोनों में काफी कम मात्रा में पानी रहा करता है।

loksabha election banner

---------------------

नहीं होती है साफ-सफाई

छठ व्रत को लेकर प्रशासनिक स्तर से इस प्रखंड क्षेत्र में एक भी जगह पर साफ-सफाई नहीं कराई जाती है। इस कारण लोगों को घाट बनाने के लिए अपने से घास-फूस तथा कचरे को हटाना पड़ता है। कोसी कछार पर भपटियाही बाजार, सरायगढ़, कल्याणपुर, बैसा, नोनपार, कोढ़ली, सिमरी, कुसहा, झाझा, गोपालपुर, सनपतहा, इटहरी, औरही, ढोली, बलथरबा, सियानी, कटैया, मौरा, सियानी, गिरधारी सहित अन्य गांव के लोग छठ पर्व मनाते हैं। इधर तटबंध के बाहर के लोग नहरों के किनारे व्यवस्था में इस पर्व का आयोजन करते हैं। लेकिन इन सभी जगहों पर ना तो प्रशासनिक स्तर से कोई साफ-सफाई कराई जाती है और ना ही किसी प्रकार की अन्य सुविधाएं के लिए उपलब्ध कराई जाती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.