गांव जाने के लिए नहीं है पक्की सड़क, हजारों की आबादी प्रभावित
सुपौल। कहा जाता है कि कभी जंगलों से घिरे होने के कारण चिलौनी पंचायत के इस जगह पर भ
सुपौल। कहा जाता है कि कभी जंगलों से घिरे होने के कारण चिलौनी पंचायत के इस जगह पर भालू काफी पाए जाते थे, धीरे-धीरे बस्ती बसी और लोगों ने इसका नाम दे दिया भालूकूप। समय बीता, देश की आजादी के 70 साल बीते, गांव के एक सिरे से एनएच 57 के रूप में विकास की बड़ी लकीर खींची गई लेकिन रहनुमाओं की उपेक्षा ने भालूकूप को कूपमंडुक बनाकर रख दिया। तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में एक भी पक्की सड़क नहीं है। जबकि यह गांव तीन ओर से नदी और नहर से घिरा हुआ है। ट्रैक्टर के सिवा इस गांव कोई गाड़ी नहीं जाती है। नतीजा है कि लोग अपनी बेटी की शादी इस गांव में कर कूप का मंडुक बनाने से पहले हजारों बार सोचते हैं। हालांकि विधायक का कहना है कि इसबार सड़क का प्रस्ताव विभाग को भेजा गया है। सड़क के अभाव में अब तक कई प्रसूता या फिर गंभीर रूप से बीमार लोगों की मौत ससमय चिकित्सा के अभाव में हो चुकी है। ऐसे में अपनी बेटी की शादी यहां करने से पहले लोगों का हजारों बार सोचना मुनासिब है। यही वजह है कि लोग अपनी बेटी की शादी यहां नहीं करना चाहते हैं।
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दुरूह है गांव की भौगोलिक स्थिति
इस गांव की भौगोलिक स्थिति दुरूह है। पूरब दिशा में भेंगा धार, पश्चिम की दिशा में मझौआ नहर, उत्तर की दिशा में एनएच 57 सड़क और दक्षिण में भेंगा धार है। गांव के लोग रास्ते की वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। किसी भी दिशा में जाने व आने के लिए उक्त गांव में ना उपयुक्त सड़क है और ना ही नदी और नहर पर कोई पुल बना हुआ है। परिणाम स्वरूप उक्त गांव में एकमात्र ट्रैक्टर को छोड़कर किसी भी मौसम में अन्य वाहनों का जाना संभव नहीं होता है। बरसात के मौसम में गांव के लोग मोटर साइकिल तो दूर की बात साइकिल भी अपने घरों में रखकर पैदल सफ़र करना ही मुनासिब समझते हैं।
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सरकारी दावा, हवा
सरकार के दावे यहां हवा साबित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 500 की आबादी वाले सभी टोले में 2010 तक पक्की सड़क से जोड़ने, मुख्यमंत्री ग्रामीण उप योजना के तहत ग्रामीण बसावटों को बारहमासी सड़क से जोड़ने व विकास की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए सड़क संपर्क पहुंच मार्ग बनाने संबंधी विभिन्न योजनाएं यहां विफल साबित हुई है।