आस्था के साथ महिलाओं ने की गोवर्द्धन पूजा
सुपौल: गोवर्द्धन पूजा संपूर्ण जिले में आस्था के साथ शुक्रवार को मनाई गई। इस लोकपर्व को लोग अन्नकू
सुपौल: गोवर्द्धन पूजा संपूर्ण जिले में आस्था के साथ शुक्रवार को मनाई गई। इस लोकपर्व को लोग अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस पर्व का भारतीय लोक जीवन में काफी महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा संबंध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोक कथा है। गोवर्द्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदी में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का भी स्वरूप कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख-समृद्धि प्रदान करती है उसी प्रकार गौमाता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती है। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। इस तरह गौ संपूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्द्धन की पूजा की जाती है। कहते हैं कि जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्द्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठा कर रखा और गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुख पूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्द्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्द्धन पूजा कर अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह पर्व अन्नकूट उत्सव के नाम से मनाया जाता है। इस पर्व में गाय-बैल को स्नान करा कर उन्हें रंग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैल को मीठा भोजन कराया जाता है।