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विवाहिता हत्या मामले में तीन को आजीवन कारावास

वामदल एवं लोकतांत्रिक दलों के तत्वाधान में नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के विरोध में गुरुवार को आहूत बिहार बंद की कड़ी में सुपौल जिला मुख्यालय में भी बाजार बंद एवं प्रतिवाद मार्च का आयोजन किया गया। स्थानीय गांधी मैदान से सीपीआई सीपीआईएम के नेतृत्व में विशाल मार्च निकाला गया। बंद को कांग्रेस जन अधिकार पार्टी और रालोसपाकारवां अमन व इंसाफ का भी समर्थन रहा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Dec 2019 06:30 PM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 06:12 AM (IST)
विवाहिता हत्या मामले में तीन को आजीवन कारावास
विवाहिता हत्या मामले में तीन को आजीवन कारावास

सुपौल। करीब आठ वर्ष पूर्व एक विवाहिता की हुई हत्या के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय इसरार अहमद की कोर्ट ने हत्या में शामिल ससुर, पति व देवर को दोषी करार करते हुए तीनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। मामला त्रिवेणीगंज थाना कांड संख्या 80/11 तथा सत्र वाद संख्या 20/12 से संबंधित है। जिसमें ज्योति देवी उर्फ लता की हत्या का आरोप ससुराल पक्ष के मिरजावा निवासी ससुर सिघेश्वर चौधरी, पति संजय चौधरी तथा देवर नंदकिशोर चौधरी पर लगाया था। मामले को लेकर थाना क्षेत्र के लहरनियां निवासी मृतका के पिता रामानंद चौधरी ने थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। दर्ज मामले में रामानंद चौधरी ने कहा था कि बेटी के बुलावे पर 25 मई 2011 को जब वे और उनका बेटा चंदन कुमार बेटी के ससुराल मिरजावा गया तो देखा कि उनका समधी सिघेश्वर चौधरी, दामाद संजय चौधरी तथा दामाद का भाई नंदकिशोर चौधरी आपस में लड़ाई झगड़ा कर रहा था। उन्हें देखते ही उनका समधी सिघेश्वर चौधरी ने शादी का 50 हजार देने की मांग उनसे करने लगा। इसी दौरान वे तीनों बाप बेटा उनके सामने ही बेटी का गला दबाने लगा। जिससे उनकी बेटी ज्योति देवी की मौत तत्क्षण हो गई। बाद में वे लोग उनके बेटा चंदन के साथ भी मारपीट करने लगा। सुनवाई उपरांत उक्त कोर्ट ने मृतका के ससुर सिघेश्वर चौधरी, पति संजय चौधरी तथा पति का भाई नंदकिशोर चौधरी को दोषी करार देते हुए भादवि की धारा 302/34 के तहत आजीवन कारावास तथा 20 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड की राशि नहीं देने पर तीनों को अतिरिक्त 3 माह की सजा भुगतनी होगी। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि मृतका ज्योति के बच्चे को मुआवजा हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकार यहां भेजा जाता है। इस पूरे मामले में अभियोजन पक्ष से अपर लोक अभियोजक रूद्र प्रताप लाल तथा बचाव पक्ष की ओर से सुधीर कुमार झा प्रथम ने बहस में हिस्सा लिया।

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