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फसल उत्पादकता बढ़ाने को ले कार्यशाला में कर्मियों को दिए गए टिप्स

सुपौल। आगामी रबी फसल के उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि लाने के साथ-साथ कृषि के क्षेत्र में सरक

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 01:11 AM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 01:11 AM (IST)
फसल उत्पादकता बढ़ाने को ले कार्यशाला में कर्मियों को दिए गए टिप्स
फसल उत्पादकता बढ़ाने को ले कार्यशाला में कर्मियों को दिए गए टिप्स

सुपौल। आगामी रबी फसल के उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि लाने के साथ-साथ कृषि के क्षेत्र में सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य शनिवार को जिला कृषि कार्यालय परिसर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में कृषि कार्यों से जुड़े विभिन्न विभागों के अधिकारी समेत पंचायत प्रतिनिधियों को भी शामिल कर उन्हें योजनाओं के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार झा ने कहा कि इस कार्यशाला का मकसद है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी आम लोगों तक पहुंचे। जानकारी के अभाव में सरकार की योजनाएं सफल नहीं हो पाती है और न ही सरजमीन पर उतर पाती है। परिणाम होता है कि योजना का मकसद अधूरा रह जाता है। खासकर कृषि कार्यों से संबंधित योजनाएं जानकारी के अभाव में हमारी उत्पादक और उत्पादन पर सीधा असर डालता है। हमारा उद्देश्य है कि योजना की जानकारी पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचे और कृषि प्रधान इस जिले की उन्नति हो सके। कहा कि कार्यशाला के माध्यम से हमने एक समन्वय स्थापित करने की कोशिश की है। जब तक विभाग का समन्वय आम लोगों से नहीं जुड़ पाएगा तब तक योजना का मकसद अधूरा रहेगा। उन्होंने कई योजनाओं के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए कहा कि आज जरूरत है कृषि लागत को कम करने की। इसके लिए रबी मौसम में किसानों को जीरो टिलेज विधि अपनानी होगी। यह एक ऐसी विधि है जिससे कृषि खर्च को ना सिर्फ कम किया जा सकता है, बल्कि उत्पादन को भी बढ़ाया जा सकता है। किसानों की सबसे बड़ी समस्या कृषि कार्य पर बढ़ रही लागत है। लागत को कम कर हम किसानों की आय बढ़ा सकते हैं और उनके जीवन में भी खुशी ला सकते हैं। कहा कि आज जैविक खेती जरूरत बन चुकी है। रसायनिक खादों के धड़ल्ले प्रयोग से आज मिट्टी की सेहत ना सिर्फ बिगड़ रही है बल्कि इसका सीधा प्रभाव आम जनमानस पर भी पड़ रहा है। सरकार ने जैविक विधि से खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रखी है। जैविक विधि से की गई खेती ना सिर्फ सस्ती होती है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होता है। उन्होंने कृषि पंजीयन पर जोर देते हुए कहा कि किसानों को पंजीकृत होना आवश्यक है। बिना पंजीकृत किए किसानों को कृषि के क्षेत्र में कोई भी सरकारी लाभ देने का प्रावधान नहीं है। जिले में करीब 67000 किसान पंजीकृत हो चुके हैं। फसल सहायता योजना पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आपदा से निपटने के लिए सरकार ने फसल सहायता योजना चला रखी है। लेकिन जिले में अब भी किसान इनके प्रति उदासीन बने हैं। खरीफ के मौसम में महज 20000 किसानों ने ही इस योजना के लिए आवेदन दिया जो काफी निराशाजनक प्रदर्शन है। फसल सहायता योजना एक ऐसी योजना है जो किसानों की भविष्य को सुरक्षित करता है तो इसमें कोई प्रीमियम लगता है। बस एक प्रक्रिया के तहत उसे अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है। बैठक में पशुपालन विभाग, गव्य विभाग से संबंधित अधिकारियों ने भी किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं पर विस्तृत रूप से चर्चा की। आत्मा निदेशक राजन बालन के संचालन वाले इस बैठक में पंचायत के विभिन्न मुखिया समेत सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी, समन्वयक, एटीएम, किसान सलाहकार व प्रगतिशील किसान उपस्थित थे।

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