झोपड़ियों में गढ़े जा रहे नौनिहालों के भविष्य
प्रखंड क्षेत्र में सैकड़ों नौनिहालों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए भवन नहीं है। नौनिहालों का भविष्य झोपड़ियों में गढ़ा जा रहा है। दर्जनों ऐसे विद्यालय हैं जहां पढ़ने वाले बच्चे बरसात धूप तथा जाड़े में सुरक्षित जगह खोजने को मजबूर होते हैं। प्रखंड क्षेत्र में सैकड़ों नौनिहालों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए भवन नहीं है। नौनिहालों का भविष्य झोपड़ियों में गढ़ा जा रहा है। दर्जनों ऐसे विद्यालय हैं जहां पढ़ने वाले बच्चे बरसात धूप तथा जाड़े में सुरक्षित जगह खोजने को मजबूर होते हैं।
सुपौल। प्रखंड क्षेत्र में सैकड़ों नौनिहालों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए भवन नहीं है। नौनिहालों का भविष्य झोपड़ियों में गढ़ा जा रहा है। दर्जनों ऐसे विद्यालय हैं, जहां पढ़ने वाले बच्चे बरसात, धूप तथा जाड़े में सुरक्षित जगह खोजने को मजबूर होते हैं।
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यूं है प्रखंड में विद्यालयों की संख्या
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1. संस्कृत विद्यालय - 11
2. मदरसा विद्यालय - 06
3. उच्च विद्यालय - 10
4. मध्य विद्यालय - 48
5. प्रा. वि - 83
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इन विद्यालयों में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राओं का नामांकन है। इनमें से कई ऐसे विद्यालय हैं जो या तो फूस की झोपड़ी में चलते हैं या फिर वृक्ष के नीचे। कुछ विद्यालय तो चलता-फिरता विद्यालय है, क्योंकि वहां पढ़ने वाले बच्चों का कोई स्थाई ठिकाना नहीं है। अभिभावक इस समस्या के निदान के लिए बार-बार आवाज उठाते हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं होता है।
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जमीन निबंधन में है अड़चन
नवसृजित विद्यालयों के लिए कई जगहों पर लोग जमीन देने के लिए आगे आए, लेकिन उसका निबंधन नहीं हो सका। दान की जमीन के निबंधन के लिए अंचल कार्यालय से प्रक्रिया पूरी कर उसे जिला निबंधन कार्यालय भेजा जाता है । निबंधन की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो रही है। प्रखंड क्षेत्र में कुछ जगह तो ऐसे अभी हालात बन गए कि पहले अभिभावकों ने जिस उत्साह के साथ जमीन दान में दिया बाद में वापस ले लिया। इस कारण कई विद्यालय को जमीन उपलब्ध नहीं हो सकी। फूस की झोपड़ी में पढ़ने को विवश बच्चे अब धीरे-धीरे दूसरे विद्यालय जाने लगे हैं।
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भवनहीन विद्यालयों को नजदीक के विद्यालयों में किया गया टैग
पिछले वर्ष प्रखंड क्षेत्र के वैसे विद्यालय जिनके पास अपना भवन नहीं था उसे नजदीक के मध्य विद्यालयों में टैग कर दिया गया था। शिक्षा विभाग के इस आदेश के तहत शिवनंदन यादव प्राथमिक विद्यालय गढि़या राहुल शर्मा टोला पिपरा खुर्द महेंद्र सिंह राय धोबी टोला पिपरा खुर्द खापटोला सरायगढ़ सीताराम मेहता टोला कल्याणपुर सहित कई ऐसे विद्यालय थे, जिस का संचालन पंचायत के वैसे विद्यालय में होने लगा जिनके पास अपना भवन था लेकिन कुछ ही सप्ताह बाद विद्यालय से बच्चे दूर हो गए और धीरे-धीरे शिक्षक अपनी पुरानी जगह पर चले गए। अब तक भवनहीन और भूमिहीन विद्यालय अपनी-अपनी जगह ही अवस्थित है। विद्यालय भवनहीन रहने के कारण बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
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क्या कहते हैं अभिभावक
फोटो फाइल नंबर-27एसयूपी-9
शिक्षा की नींव प्राथमिक विद्यालय है लेकिन भवनहीन और भूमिहीन विद्यालयों में बच्चे पढ़ने में असहज महसूस करते हैं। इसलिए उसका संपूर्ण विकास नहीं हो पाता है।
मिश्री लाल पंडित
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फोटो फाइल नंबर-27एसयूपी-10
सरकार को सभी विद्यालय भवन को पक्का में बदलने की दिशा में काम करनी चाहिए। जब बच्चे सुरक्षित रूप से बैठ नहीं सकते तो वह पढ़ कैसे सकते हैं।
बद्री नारायण यादव
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फोटो फाइल नंबर-27एसयूपी-11
भवनहीन विद्यालयों में बच्चे जब पढ़ने जाते हैं तो वे सुरक्षित नहीं रहते। वृक्ष के नीचे पढ़ते बच्चे सही रूप से आगे नहीं बढ़ते हैं। ऐसे में सरकार सभी विद्यालयों के भवन जल्द से जल्द बनाने का काम करें।
राघवेंद्र झा
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फोटो फाइल नंबर-27एसयूपी-12
कोसी के इलाके में तो एक भी विद्यालय के पास अपना पक्का भवन नहीं है। यह दुर्भाग्य है कि कोसी के क्षेत्र में बच्चों को हर वर्ष जगह बदल कर अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है। शिक्षा के मंदिर को मंदिर की तरह रखा जाए तो उसमें पढ़ने वाले बच्चे आगे बढ़ जाएंगे।
हजारी प्रसाद राय