Move to Jagran APP

..आखिर कहां गई किडनी, स्वास्थ्य विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती

सुपौल: प्रसव के ऑपरेशन के दौरान किडनी निकाले जाने का मामला गहराता जा रहा है। पीड़िता

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 11:41 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 11:41 PM (IST)
..आखिर कहां गई किडनी, स्वास्थ्य विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती
..आखिर कहां गई किडनी, स्वास्थ्य विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती

सुपौल: प्रसव के ऑपरेशन के दौरान किडनी निकाले जाने का मामला गहराता जा रहा है। पीड़िता ने जब अपने हिसाब से कई जगह जांच करा ली और संतुष्ट हो गई कि उसकी एक ही किडनी है और दूसरी निकाल ली गई तो उसने न्याय के लिए अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया।

loksabha election banner

प्राप्त आवेदन के आलोक में सिविल सर्जन ने पीड़िता द्वारा दिए गए साक्ष्य का अवलोकन करने के उपरांत अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सक को साक्ष्य के साथ 22 जनवरी को सिविल सर्जन कार्यालय में उपस्थित होने का फरमान जारी किया है। साक्ष्य से संतुष्ट होने के बाद मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा। अब कहां गई किडनी, कौन है दोषी यह तो जांच के बाद ही सामने आ पाएगा लेकिन फिलहाल न्याय के लिए पीड़िता जहां दर-दर भटक रही है वहीं इसको साबित करना स्वास्थ्य महकमे के लिए एक बड़ी चुनौती है। पीड़िता की कहानी उसकी जुवानी पीड़िता आशा ने बताया कि ऑपरेशन के बाद कभी कभार उसे चक्कर आता था और उसके पेट में दर्द भी होता था। लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण डॉक्टर के पास वह देर से इलाज कराने पहुंची। उसने कहा कि दर्द बढ़ा तो उसके परिजन उसे 4 अगस्त 2018 को स्थानीय डॉक्टर ओपी अमन के क्लीनिक में भर्ती कराया। डॉक्टर ने पीड़िता का अल्ट्रासाउंड कराया तो रिपोर्ट में पीड़िता आशा देवी के दो किडनी में से दाहिनी किडनी गायब पाई गई। पुन: तसल्ली के लिए उसके परिजन ने लक्ष्मी अल्ट्रासाउंड में 4 सितंबर 2018 को अल्ट्रासाउंड करवाया जहां दिए गए रिपोर्ट में भी एक ही किडनी पाई गई। पुन: पीड़िता ने इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान पटना में 23 अक्टूबर 2018 को अल्ट्रासाउंड करवाया। वहां भी सिर्फ एक किडनी होने की बात स्पष्ट हुई। 24 अक्टूबर को पटना मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग में सिटी स्कैन करवाने पर भी एक ही किडनी होने की बात सामने आई। 8 जनवरी 2019 को सुपौल के लोहिया नगर चौक स्थित दरभंगा इमेजिन सेंटर में अल्ट्रासाउंड कराने के बाद एक ही किडनी की पुष्टि हुई। जबकि पीड़िता ने बताया कि प्रसव से पूर्व उसका पहला अल्ट्रासाउंड सहरसा के गायत्री अल्ट्रासाउंड में 19 जून 2016 को किया गया था जिसमें दोनों किडनी सही होने की बात कही गई। 23 जून 2017 को लक्ष्मी अल्ट्रासाउंड सुपौल में कराए गए अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में भी दोनों किडनी के सामान्य होने की बात कही गई थी। सिजेरियन के पूर्व चकला निर्मली स्थित मेरी गोल्ड रौनक राज हॉस्पिटल के डॉक्टर के निर्देश पर भी जब लक्ष्मी अल्ट्रासाउंड सुपौल में 27 जुलाई 2017 को अल्ट्रासाउंड करवाया तो दोनों किडनी सलामत बताया गया था। पीड़िता ने न्याय की गुहार लगाई है। सिविल सर्जन कार्यालय में होगी जांच प्रसव के लिए प्राइवेट क्लीनिक गई महिला का ऑपरेशन के दौरान किडनी निकाल लेने के मामले में सिविल सर्जन ने संबंधित अस्पताल के चिकित्सक को 22 जनवरी को सिविल सर्जन कार्यालय बुलाया है। जहां वे साक्ष्य के साथ अपना पक्ष प्रस्तुत करेंगे। आरोपित का पक्ष जानने के बाद मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा और तब अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी। सिविल सर्जन डॉ. घनश्याम झा ने बताया कि शिकायत के बाबत जब पीड़िता द्वारा दिए रिपोर्ट का अवलोकन किया गया तो प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट हो रहा है कि ऑपरेशन के पूर्व उसके दोनों किडनी सलामत थे। जब मरीज को परेशानी हुई और तब जो उन्होंने अपनी जांच पड़ताल करवाई तो उसमें दाहिनी किडनी गायब है। जिसके लिए विभिन्न अल्ट्रासाउंड के रिपोर्ट लगाए गए हैं। इसलिए पहले आरोपित डॉक्टर से साक्ष्य मांगा गया है, फिर मेडिकल बोर्ड बैठाकर इसकी पूरी जांच पड़ताल होगी। क्या कहते हैं आइएमए के अध्यक्ष किडनी ट्रांसप्लांट के बाबत पूछने पर आइएमए के अध्यक्ष डॉ. सीके प्रसाद ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा निकट के अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है। मेरी जानकारी के अनुसार पटना के आइजीएमएस में एकाध केस ट्रासंप्लांट का हुआ है जिसमें बाहर से विशेषज्ञ बुलाए गए थे। वैसे किडनी को ट्रांसप्लांट के लिए रखे जाने के लिए दो-तीन घंटे से अधिक समय भी नहीं होता। उसमें भी काफी व्यवस्था करनी होती है। सुपौल का ये मामला पूरी तरह जांच का है। हर बिंदु पर गहन जांच के बाद सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा। चिकित्सक का पक्ष मेरे पास वह मरीज पहली बार आई जब वह प्रसव पीड़ा से परेशान थी। मैंने जांचोपरांत पाया कि नार्मल प्रसव में काफी परेशानी होगी और हो सकता है कि जच्चा-बच्चा के जान को खतरा हो। मैंने उसके परिजन को सलाह दी कि आप अपनी सुविधानुसार सिजेरियन के लिए कहीं ले जा सकते हैं। परिजन ने असमर्थता जताई तो मैंने दरभंगा के सर्जन जो ऑन काल उपलब्ध होते हैं को बुला दिया। सिजेरियन हुआ और बच्चा-जच्चा दोनों स्वस्थ हो अपने घर चले गए। अब एक साल के बाद इस तरह का आरोप लगाना बेबुनियाद है। -डॉ. शीला राणा,

मेरी गोल्ड रौनक राज हॉस्पिटल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.