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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को खुद इलाज की बनी है दरकार

सुपौल। सूबे की सरकार जहां लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए नित्य नये-नये कदम उ

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 12:37 AM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 12:37 AM (IST)
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को खुद इलाज की बनी है दरकार
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को खुद इलाज की बनी है दरकार

सुपौल। सूबे की सरकार जहां लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए नित्य नये-नये कदम उठा रही है। इस पर बड़ा बजट खर्च कर रही है, इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्थापित पीएचसी की दशा काफी दयनीय है। मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बीमार व्यवस्था को खुद इलाज की दरकार है। यह अस्पताल डॉक्टरों व संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। अस्पताल का भवन काफी जर्जर हो गया है, इसमें रहना खतरे को दावत देना है आलम यह है कि छत का छड़ दिखाई दे रहा हैं, छत का प्लास्टर टूट कर गिर रहा हैं। कर्मियों का कहना है कि हमेशा हादसे का भय बना रहता है। बरसात के दिनों में पानी टपकता है, इससे कर्मियों को परेशानी होती है। पीएचसी में प्रतिदिन पांच सौ से अधिक मरीज आते हैं। महीने में करीब दो सौ महिलाओं का परिवार नियोजन भी किया जाता है। जिस दिन परिवार नियोजन होता है, सभी मरीजों को बेड नहीं रहने के कारण फर्श पर ही लिटाया जाता है।

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सृजित पदों के मुताबिक नहीं हैं चिकित्सक

प्रखंड में स्थापित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप स्वास्थ्य केंद्र व अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सृजित पद के मुताबि़क चिकित्सक व एएनएम नहीं है। इससे लोगों के साथ कर्मियों को परेशानी होती है। आये दिन कर्मियों को मरीजों व उनके परिजनों के कोप का शिकार होना पड़ता है। प्रखंड में एक पीएचसी, एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं 9 उप स्वास्थ्य केंद्र स्थापित है। 19 एएनएम के स्थान पर 19 पदस्थापित है। वहीं आठ विशेषज्ञ चिकित्सक के सृजित पद पर 3 चिकित्सक हैं। 02 आयुष चिकित्सक से सेवा ली जा रही है, जो रोगियों का इलाज एलोपैथिक पद्धति से करते हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी के चलते लोगों को या तो प्राइवेट चिकित्सकों की सेवा लेनी पड़ती है या सदर अस्पताल जाना पड़ता है। इससे आर्थिक व शारीरिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

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रख रखाव के अभाव में खराब हो रही हैं दवाएं

भवन के आभाव के चलते रोगियों को दी जाने वाली दवाएं खराब हो रही है। वहीं फर्नीचर व बेड भी खराब हो रहे हैं। जर्जर भवन का छत हल्का पानी भी बर्दाश्त नहीं करता है। चिकित्सकों व कर्मियों का कहना है कि बरसात के दिनों में दवाएं खराब हो जाती है। हालांकि अस्पताल में आवश्यकता के मुताबि़क दवाएं उपलब्ध है।


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