प्रवासियों को रोजगार दिलाने की दिशा में सरकार है तत्पर : सांसद
- सरकार उद्योग तथा कारोबार नीति में कर रही है बदलाव जागरण संवाददाता सुपौल कोरोना महामारी क
- सरकार उद्योग तथा कारोबार नीति में कर रही है बदलाव
जागरण संवाददाता, सुपौल: कोरोना महामारी के दौरान अन्य राज्यों से वापस लौटे लोगों को रोजी-रोटी के लिए फिर वापस नहीं जाना पड़े, इसके लिए राज्य सरकार रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में तत्पर है। सरकार उद्योग तथा कारोबार की नीति में बदलाव कर रही है। मंशा है कि हर व्यक्ति को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिले। यह कहना है क्षेत्रीय सांसद दिलेश्वर कामैत का। वे शनिवार को जनता के नाम संवाद कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे। बोले कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दौरान राज्य सरकार ने बाहर फंसे लोगों की मदद को ले दिन-रात एक कर दी है। लोगों की मदद को ले सरकार ने 8538 करोड़ 53 लाख की राशि खर्च की है। वहीं घर वापस आए लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कई स्तर से तैयारी की जा रही है। लॉकडाउन के कारण बाहर फंसे करीब 20 लाख प्रवासी समेत एक करोड़ 41 लाख लोगों के खाते में सरकार ने एक-एक हजार की राशि देने के साथ-साथ सभी पंचायतों में प्रत्येक परिवार मास्क और साबुन उपलब्ध कराने के लिए राशि दी है। इसके अलावा बच्चों के छात्रवृत्ति और पोशाक 3261 करोड़ तथा सामाजिक विभिन्न पेंशन के 3 माह के लिए एक लाख 17 करोड़ की राशि दी गई है। इसके अलावा क्वारंटाइन सेंटर में रहे प्रत्येक प्रवासी पर प्रति प्रवासी पर 5300 रुपये खर्च किए गए हैं। सांसद ने कहा कि हाल के दिनों में अत्यधिक वर्षा और ओलावृष्टि से क्षति हुई। फसल में कृषि इनपुट अनुदान के रूप में सरकार ने 730 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी। जहां तक सुपौल जिले की बात है तो संकट के इस घड़ी में सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने एकजुटता का परिचय दिया है। यहां के जिला प्रशासन ने बखूबी अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है। जिले में कुल 294 क्वारंटाइन सेंटर का संचालन किया गया। जिसमें करीब 45512 व्यक्तियों के बीच डिग्निटि किट का वितरण किया गया। इसके अलावा गरीब परिवारों के बीच 5 किलो चावल और दाल भी उन्हें उपलब्ध कराया गया। पूर्व में। जिन 88000 लोगों ने राशन कार्ड के लिए आवेदन किए थे, उनमें से 45 हजार आवेदन अभी तक स्वीकृत किए जा चुके हैं। जिन्हें एक 1000 की राशि दी जा चुकी है। मनरेगा योजना के तहत लॉकडाउन में 479402 मानव दिवस सृजित किए गए, जिसमें योजनाओं की कुल संख्या 8452 हैं। इनमें 806 प्रवासियों को रोजगार दिया गया। जबकि 2807 लोगों को जॉब कार्ड उपलब्ध कराया गया। कहा कि कोरोना से हमें डरना नहीं है, बल्कि सचेत रहने की जरूरत है।