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बोतलबंद पानी से प्यास बुझाते हैं जलांचल के लोग

सूरज की तपिश बढ़ने के साथ ही खेतों के हलक भी सूखने लगे हैं। दलहनी फसल मूंग के साथ-साथ नगदी फसल पाट के मुरझाने से किसानों में मायूसी दिखने लगी है। वहीं विभागीय उपेक्षा से किसानों को सिचाई के लिए स्थापित नलकूप नकारा साबित हो रहा है। परमानंदपुर पंचायत के गोसपुर गांव में विगत

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 05:30 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 12:50 AM (IST)
बोतलबंद पानी से प्यास बुझाते हैं जलांचल के लोग
बोतलबंद पानी से प्यास बुझाते हैं जलांचल के लोग

-जल का अकूत भंडार, पीने के पानी की है समस्या

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-शहर में बढ़ा पानी का कारोबार, खरीद कर पानी पीना बनी मजबूरी

जागरण संवाददाता, सुपौल: पानी की किल्लत से आए दिन आबादी परेशान होती रहती है। सरकार की फजीहत होती है, पानी को ले आंदोलन तक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लेकिन वहीं कोसी के इलाके में लोग पानी की अधिकता से परेशान हुआ करते हैं। यानी कोसी में पानी का बढ़ना और घटना लोगों की धड़कनें बढ़ाता रहता है। बावजूद इस इलाके में पीने का शुद्ध पानी सबसे बड़ी समस्या मानी जाती है। यानी पानी के शहर में अब बोतल में पानी का चलन हो गया है और लोग उस पर पूरा भरोसा करने लगे हैं। जल का अकूत भंडार होने के बावजूद पीने का पानी एक बड़ी समस्या है। शुद्ध जल मुहैया कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा एक से एक महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरुआत की गई। इन योजनाओं को सरजमीन पर उतारने का प्रयास भी किया गया। कई का कार्य प्रारंभ हुआ तो कई अधर में लटका पड़ा है। नतीजा है कि जल की संपूर्णता के बावजूद आम जन मानस को शुद्ध जल नसीब नहीं हो पा रहा।

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कारगर नहीं हो सका जलमीनार

वर्षो पूर्व बना जिला मुख्यालय का जलमीनार शहर वासियों को पानी पिलाने में आज तक कारगर नहीं हो सका। काफी प्रयास के बाद 2005 में प्रस्ताव भेजा गया था। जिसके तहत रिवाईज स्टीमेट बनाने के लिये पत्र आ गया। लेकिन विडंबना कहिये कि जो पाईप लाइन शहर में बिछाया गया था वो तमाम सड़कों के नीचे आ गया है। ऐसे में मीनार से पानी टपकने का तो फिलहाल इंतजार ही करना होगा।

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बोतलबंद पानी का चलन

नदियों के देश भारत में आज पानी के लिए भी पैसे खर्च करने पड़ रहे है। गंगा, यमुना, सरस्वती, गंडक, कोसी, पुनपुन, फल्गु के जाल से घिरे रहने के बावजूद आज लोगों का आसरा बोतलबंद पानी बनता जा रहा है। यह विडंबना नहीं तो क्या कि कोसी में जल का अकूत भंडार फिर भी लोग बोतलबंद पानी पर आश्रित होने लगे हैं। नतीजा है कि जहां बोतलबंद पानी का बाजार अपनी पैठ बना रहा वहीं समाज में स्टेटस सिबल भी बनता जा रहा है।

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चिकित्सकों की राय

मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन 7-8 लीटर पानी पीना चाहिए। इतना ही नहीं अधिकांश बीमारियों की जननी भी दूषित जल को ही बताया जाता है। कोसी के इस इलाके में पानी की प्रचूरता है और पानी के मामले में यह इलाका काफी समृद्ध व धनी है। विशेषज्ञों के अनुसार यहां के पानी में आयरन की मात्रा अधिक है।

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