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गलसा रोग ने बढ़ाई धान के किसानों की परेशानी

फोटो नंबर-12 एसयूपी-16 ---------- -बीच वाली पत्ती गलने से सूख रहे धान के पौधे -पहली बार

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 10:17 PM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 10:17 PM (IST)
गलसा रोग ने बढ़ाई धान के किसानों की परेशानी
गलसा रोग ने बढ़ाई धान के किसानों की परेशानी

फोटो नंबर-12 एसयूपी-16

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-बीच वाली पत्ती गलने से सूख रहे धान के पौधे

-पहली बार इस बीमारी से किसान हो रहे दो चार

-अत्यधिक बारिश से गली फसलों में लगी बीमारी

--------------------- जागरण संवाददाता, सुपौल : अत्यधिक बारिश के कारण बर्बाद हो रही धान की फसल ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इस परेशानी से अभी किसान उबर भी नहीं पाए हैं अचानक कीड़ों का प्रकोप बढ़ गया। बाजार में मिलने वाले कीटनाशी दवा का प्रभाव भी इन कीड़ों पर नहीं हो रहा है। किसानों का कहना है कि इस तरह की बीमारी से पहले कभी दो चार नहीं होना पड़ा था। इस बीमारी में पौधे के बीच वाली पत्ती गलने लगती हैं और पौधे धीरे-धीरे सूख जाते हैं।

---------------- बीच वाली पत्ती गलने से शुरू होती है बीमारी

खरीफ में जिले के किसानों की प्रमुख फसल धान है। इस बार शुरुआती काल से ही बारिश शुरू होने के कारण किसानों ने समय पर रोपनी का काम पूरा कर लिया था। उन्हें मौसम का बेहतर साथ मिलने के कारण इस बार कम लागत पर अच्छी उपज की उम्मीद थी, लेकिन अपेक्षा से अधिक के साथ लगातार बारिश से फसल इसकी भेंट चढ़ गई। जो बची है उसे बीमारी बर्बाद कर रही है।

किसानों का कहना है कि अब जब धान में बाली निकलने का समय आ गया है तो बीमारी ने हमला बोल दिया है जिससे उन लोगों को मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। किसान बताते हैं कि हरे-भरे और जवान दिखने वाले धान के पौधे को यह रोग एक सप्ताह में झुलसा देता है। इस पर हमला पौधों के बीच वाली पत्ती से होता है। जब तक किसान कुछ समझ पाते, तब तक पौधा ही गल जाता है। इसका फैलाव काफी तीव्रता से होता है। इससे पूर्व भी धान की फसल में रोग लगता था लेकिन कीटनाशक के प्रयोग से रोग भाग जाता था परंतु इस बार कीटनाशक का भी प्रभाव इस पर नहीं पड़ रहा है।

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बचाव के उपाय

राघोपुर कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार के अनुसार धान में लगने वाला यह रोग गलसा कहलाता है। बीच वाली पत्ती से यह बीमारी शुरू होती है जो पौधे को सूखा देती है। इस रोग के लगने की मुख्य वजह बीजोपचार नहीं करना है। बीजोपचार से इस रोग के लगने के आसार कम हो जाते हैं तथा पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि इस रोग से बचाव के लिए किसानों को हेक्सापोनाफोल 5त्‍‌न, प्रोफेनोफॉस 50त्‍‌न, नाइट्रोवेजन 35त्‍‌न 2 मीली तथा सर्फ एक्सल एक ग्राम प्रति लीटर पानी में डालकर घोल तैयार कर छिड़काव करने से फसल में लगे कीड़े 24 घंटे के अंदर मर जाते हैं। किसानों को चाहिए कि इस मिश्रण का छिड़काव दोपहर 12 से पहले दो बजे के बाद करना चाहिए। एक एकड़ खेत में 100-120 लीटर पानी में घोल तैयार कर छिड़काव करना चाहिए।


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