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वीरपुर के कोसी क्लब दुर्गा माता की है अपनी अलग पहचान

संवाद सहयोगी वीरपुर (सुपौल) वीरपुर के कोसी क्लब स्थित दुर्गा पूजा की अलग पहचान 1962 से ही ह

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 04:57 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 04:57 PM (IST)
वीरपुर के कोसी क्लब दुर्गा माता की है अपनी अलग पहचान
वीरपुर के कोसी क्लब दुर्गा माता की है अपनी अलग पहचान

संवाद सहयोगी, वीरपुर (सुपौल): वीरपुर के कोसी क्लब स्थित दुर्गा पूजा की अलग पहचान 1962 से ही है। जब कोसी क्लब मैदान में मंदिर निर्माण के छत ढलाई के दौरान ऊपरी सतह पर मजदूरों ने मजाकिया लहजे में दुर्गा माता का मजाक उड़ाते हुए अंदर झांका तो अ‌र्द्धनिर्मित मंदिर में साक्षात देवी को देख हक्का बक्का रह गए। जिस कारण इस मंदिर के प्रति लोगों में अपार आस्था के साथ-साथ विश्वास कायम है। कोसी परियोजना के स्थापना काल में लगभग बिहार के साथ-साथ सभी प्रदेशों के लोग बतौर अधिकारी व कर्मी यहां नियुक्त किए गए थे। दुर्गा पूजा कराए जाने को लेकर सहमति बनने के उपरांत 1962 ई. से यहां पूजा कोसी क्लब में बड़ी धूमधाम से की जाने लगी और कोसी के लोगों सहित शहर के सभी लोग बड़ी श्रद्धा से कलश स्थापना से लेकर विजयादशमी तक पूजा अर्चना कर मनौतियों को फलीभूत होते पाया। क्लब के जर्जर हो जाने के बाद लोगों के क्लब वाले मैदान के एक भाग में मंदिर निर्माण का फैसला लेते हुए वर्तमान मंदिर में वर्ष 2000 से पूजा प्रारम्भ किया। कहा जाता है कि मंदिर निर्माण के दौरान छत की ढलाई के दौरान काम कर रहे मजदूरों में से किसी ने भगवती दुर्गा को लेकर मजाक उड़ाया कि क्या मंदिर में भगवान रहते हैं तो उस मजदूर को अन्य मजदूरों ने कहा कि तुम स्वयं देखो कि माता मंदिर में हैं क्या, जब उसने छत से नीचे झांका तो उसे मंदिर में माता के स्थापित स्वरूप के दर्शन हुए। यह बात जंगल के आग की तरह फैली और लोगों की आस्था का केंद्र बन गया। इस मंदिर में दशहरा के मौके पर प्राण प्रतिष्ठा के साथ प्रतिमा स्थापित की जाने की परंपरा चली आ रही है लेकिन 365 दिन मंदिर में पूजा होती है। मंदिर के पुरोहित संस्कृत के विद्वान प्रो धीरेंद्र कुमार मिश्र बताते हैं कि 1962 से आजतक यहां के पूजा और आस्था की अलग पहचान आज भी कायम है। भक्तों की मनोकामना को माता हमेशा पूर्ण करती आ रही हैं। मंदिर निर्माण से लेकर हर्षोल्लास एवं पूर्ण आस्था के साथ पूजा संपन्न कराने को लेकर गणमान्य लोगों से लेकर युवा वर्ग काफी सक्रिय रहते हैं और अलौकिक पूजा पाठ पूरे नवरात्र भर चलता है। निकटवर्ती नेपाल सीमा से लगे गांव लाही, हरिपुर एवं श्रीपुर के श्रद्धालुओं के लिए भी यह मंदिर आस्था का केंद्र है, जो पूरे नवरात्रा भर पूरी आस्था रखते है।

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