Move to Jagran APP

रसोइयों को मिले चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का दर्जा

सुपौल। राज्य व केंद्र सरकार द्वारा एमडीएम रसोइया के वाजिब और नियोजित मांगों की लगातार अनदे

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 12:05 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 12:05 AM (IST)
रसोइयों को मिले चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का दर्जा
रसोइयों को मिले चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का दर्जा

सुपौल। राज्य व केंद्र सरकार द्वारा एमडीएम रसोइया के वाजिब और नियोजित मांगों की लगातार अनदेखी उपेक्षा तथा वादाखिलाफी के खिलाफ गुरुवार को बिहार मध्याह्न भोजन योजना संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले जिले भर के रसोइयों ने समाहरणालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया तथा 12 सूत्री मांगों का एक ज्ञापांक जिलाधिकारी को सौंपा। जिलाध्यक्ष शिव शंकर दास की अध्यक्षता में आयोजित धरना को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि भूख और कुपोषण को मिटाने एवं ग्रामीण शहरी क्षेत्र के गरीब परिवार के बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए सरकार ने प्रारंभिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना चला रखी है। जिस योजना को सरजमीन पर सफल बनाने में रसोइया की भूमिका अहम है। इस रसोइया कार्य में समाज के दलित-महादलित, अति पिछड़ा, अल्पसंख्यक एवं कमजोर वर्ग विधवा महिलाएं शामिल होती है। परंतु सरकार इन्हें इतना कम मानदेय देती है जिससे उनका गुजारा भी नहीं चल पाता है। इतना ही नहीं रसोइया काम करने वाले लोगों को जगह-जगह सामाजिक भेदभाव का भी शिकार होना पड़ता है। विद्यालय खुलने से पहले तथा विद्यालय बंद होने के बाद तक इन्हें बर्तन की सफाई, खाना बनाने, बच्चों को खिलाने, पोछा लगाने, साफ-सफाई करने में कम से कम 6 से 7 घंटे की मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन मानदेय के नाम पर इन्हें सिर्फ 1250 रुपया ही दिया जाता है। वह भी वर्ष में 10 माह के बाद ही। जो दैनिक मजदूर से मजदूरी से काफी कम है। इतने के बाद भी उन्हें रोज-रोज हटा देने की धमकी सहनी पड़ती है। खासकर बुढ़ापा में इन्हें जीवन-यापन के लिए दूसरे पर आश्रित होकर दर-दर की ठोकर खानी पड़ती है। मातृत्व अवकाश, विशेष अवकाश का प्रावधान नहीं होने के चलते इन रसोइयों को बंधुआ मजदूर की तरह इनसे काम लिया जाता है।

prime article banner

-----------------------

मुख्य मांगें -एमडीएम रसोइया का न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये प्रतिमाह किया जाए

-केरल-हरियाणा समेत अन्य राज्यों की तरह बिहार के एमडीएम रसोइया को भी मानदेय में बढ़ोतरी कर प्रति माह पारिश्रमिक में बढ़ोतरी सुनिश्चित की जाए -प्रति माह 3 हजार पेंशन, उपादान, भविष्य निधि, चिकित्सा सुविधा आदि योजना कर्मियों के लिए लागू किया जाए

-10 महीने के बचे 12 महीने का पारिश्रमिक का प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में भुगतान किया जाए

-रसोइया के मृत्यु होने पर पांच लाख की अनुदान राशि दी जाए

-2 वर्ष में दो सेट पोशाक एवं सफाई भत्ता का भुगतान किया जाए

-एमडीएम रसोइया के सेवानिवृत्ति का उम्र 65 वर्ष की जाए -मध्याह्न भोजन योजना को एनजीओ निजी ठेकेदारों कंपनियों के हवाले करने की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.