सावधान! वेंटिलेटर से घर-दुकान में घुसने लगे चोर
सुपौल। शहर में फिर से वेंटिलेटर तोड़ कर चोरी की घटना को अंजाम देने वाला चोर गिरोह
सुपौल। शहर में फिर से वेंटिलेटर तोड़ कर चोरी की घटना को अंजाम देने वाला चोर गिरोह सक्रिय हो गया है। यह चोर गिरोह अपनी उपस्थिति की धमक भी शहरवासियों को महसूस करा दिया है। बुधवार की रात स्टेशन रोड स्थित धतालदास ठाकुरबाड़ी से कुछ दूर पश्चिम वार्ड नम्बर-10 में एक मोबाइल दुकान में वेंटिलेटर तोड़कर चोरों द्वारा चोरी की घटना को अंजाम दिया गया है। जिस वेंटिलेटर को तोड़ चोर दुकान के अंदर गया उसके छोटे आकार को देख यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह किसी बच्चा चोर का काम हो सकता है। वार्ड नम्बर-12 निवासी दुकान मालिक विजय कुमार ने बताया कि अन्य दिनों की तरह वह आठ बजे दुकान बंद कर घर गया और सुबह बगल के दुकानदार ने मोबाइल पर सूचना दी। जब आया और दुकान खोल कर देखा तो दुकान में रखे सभी नये मोबाइल सेट, चीप, नकदी व एक रिचार्ज करने वाला मोबाइल गायब था। बताया कि कितने की चोरी हुई इसका पता सारे सामान के मिलान के बाद ही चल पाएगा। बच्चा चोर बना था परेशानी का सबब लगभग पांच साल पूर्व तक सुपौल शहर में बच्चा चोर पुलिस के लिए परेशानी का सबब बना हुआ था। इसका इतना आतंक था कि मुख्य मार्ग स्थित दुकानें भी महफूज नहीं दिख रही थी। कई मोबाइल सहित अन्य दुकानों से वेंटिलेटर के रास्ते लाखों की संपत्ति चोरों ने उड़ा ली थी। हर दो-चार दिन पर इस तरह की घटना देखने व सुनने को मिलती थी। दुकानदारों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर किस तरह दुकान में रखे सामानों को चोरों की नजरों से बचाया जाय। रस्सी के सहारे चोर जाता है अंदर लगभग पांच साल पूर्व सुपौल शहर में वेंटिलेटर तोड़कर घटी चोरी की घटना में यह बात सामने आई थी कि चोर गिरोह का सरगना कई बच्चों को अपने गिरोह का सदस्य बनाए हुए था और बजाप्ता उन बच्चों को चोरी की ट्रे¨नग दे रखा था। चोर गिरोह का सरगना दिन में ही घटना को अंजाम देने वाले जगह जैसे दुकान अथवा घर को चिन्हित कर लेता था और रात में जब पूरा शहर गहरी नींद में रहता तो बच्चा चोर को लेकर उस जगह पहुंच जाता था। अगर किसी दुकान में चोरी करनी रहती थी तो रस्सी के सहारे बच्चा चोर आसानी से वेंटिलेटर के पास पहुंच जाता और भेंटीलेटर को तोड़कर उसी रस्सी के सहारे अंदर पहुंच जाता। इस दौरान रस्सी का एक छोड़ बाहर रहता। बच्चा चोर अंदर सामान समेटता था और सरगना बाहर निगरानी करता। जैसे ही बाहर कोई खतरा महसूस होता तो बाहर से रस्सी हिला दी जाती। यह सिग्नल था कि बाहर खतरा है। इसी तरह दुकान को साफ कर चोर चंपत हो जाता।