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धड़ल्ले से हो रहा पॉलीथिन का उपयोग, पर्यावरण को खतरा

सुपौल । प्रखंड क्षेत्र में देशव्यापी प्रतिबंध के बावजूद पॉलीथिन के धड़ल्ले से प्रयोग पर्यावरण प्रदू

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 05:25 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 05:25 PM (IST)
धड़ल्ले से हो रहा पॉलीथिन का उपयोग, पर्यावरण को खतरा
धड़ल्ले से हो रहा पॉलीथिन का उपयोग, पर्यावरण को खतरा

सुपौल । प्रखंड क्षेत्र में देशव्यापी प्रतिबंध के बावजूद पॉलीथिन के धड़ल्ले से प्रयोग पर्यावरण प्रदूषण को तेजी से फैला रहा है। क्षेत्र में सब्जी, फल, किराना सामान, मांस-मछली, कपड़ा व अन्य व्यवसाय से जुड़े लोगों के साथ ही खाने के तैयार भोजन व नाश्ता, पोश्चराइज्ड दूध व मिनरल वाटर तक पॉलीथिन में बेचे जा रहे हैं। पॉलीथिन के कचरे से फैल रही प्रदूषण से लोगों के साथ ही मवेशी भी बीमारी की जद में आ रहे हैं तथा चिलौनी नदी में कचरे के साथ फेंका गया पॉलीथिन के सड़ांध से उठने वाली दुर्गध से जहां पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। वहीं लोग बीमार होकर डॉक्टर से उपचार करवाने में लगे हैं। मुख्यालय स्थित सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठान सहित ग्रामीण हाट-बाजारों में खाने-पीने की वस्तु सहित सभी सामग्री पॉलीथिन में बेची जाती है। जबकि पॉलिथीन की बिक्री पर देशव्यापी प्रतिबंध लगा है। आखिर क्यों प्रभावी नही हो पा रहा इस पर लगा प्रतिबंध। लोगों की राय सुमन कुमार कहते है कि पॉलीथिन के बढ़ते उपयोग ने पर्यावरण प्रदूषण की भीषण समस्या खड़ी कर दी है। यह उर्वरा खेतों की शक्ति को भी नष्ट कर रही है। इस पर लगे प्रतिबंध को प्रभावी बनाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। कागज, पाट व कपड़े के बने थेले का उपयोग करना चाहिए। अखिलेश यादव बताते है कि पॉलीथिन को यत्र-तत्र उपयोग के बाद फेक देते है। पॉलीथिन के गंदे जमाव को खाकर पशु बीमारी के शिकार हो रहे है। वहीं कचरे के सड़ांध व नाले में अटक जाने से जाम की समस्या उत्पन्न हो जाता है। बोले कि पॉलीथिन सड़ते नहीं व उसमें रखा खाद्य पदार्थ सड़कर पर्यावरण को प्रदूषित करता है।

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ई. प्रवेश प्रवीण बताते है कि पॉलीथिन के प्रयोग पर अभी अंकुश नहीं लगी तो इसका पर्यावरण पर गंभीर खामियाजा भुगतना पडे़गा। इस पर रोक लगाने हेतु ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। कहा सब्जी, फल आदि जरूरत का सामान पॉलीथिन की जगह सूती कपड़े के झोले में खरीदना चाहिए। अभिषेक यादव कहते है कि दुकानदारों को भी पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए पॉलीथिन की बिक्री पर रोक लगानी होगी। सामाजिक संस्थाओं को भी सब्जी, मास-मछली, नाश्ता आदि के दुकानों पर कम से कम सप्ताह में एकबार भ्रमण कर पॉलीथिन के बिक्री पर रोक लगाने की अपील करनी चाहिए। सज्जन कुमार संत बताते हैं कि राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान में पॉलीथिन को रोकने के भी कारगर प्रयास होने चाहिए। दावें व वादे जितने भी हो देशव्यापी प्रतिबंध के बावजूद पॉलीथिन की हो रही बिक्री ने पर्यावरण को प्रदूषित करने में बड़ी भूमिका अदा कर रही है। समय रहते इस पर कड़ाई के साथ रोक नहीं लगाई गई तो कालातर में इसके व्यापक दुष्परिणाम का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।


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